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Computer GK MP Patwari PDF 2023 in Hindi
- March 10, 2023
- Posted by: Admin
- Category: MP Patwari Exam BPSC Madhya Pradesh Specific Notes MPPSC State PSC Exams UPPSC UPSC
Computer GK MP Patwari PDF 2023 in Hindi
कंप्यूटर शब्द लैटिन भाषा के कंप्यूटेयर से बना है जिसका अर्थ गणना करना होता है।
कंप्यूटर: कंप्यूटर एक अद्भुत मशीन है। यह ऐच्छिक परिणाम (आउटपुट) प्राप्त करने के लिए किसी दिए गए डाटा समूह (इनपुट) पर निर्धारित निर्देशों (प्रोग्राम्स ) के अनुसार क्रिया करती है।
कंप्यूटर के जनक: चार्लसण बैबेज
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू)
- यह कंप्यूटर का प्रमुख भाग होता है जोकि प्रोसेसिंग का कार्य करता है
- सीपीयू प्रोसेसिंग की प्रक्रिया द्वारा डाटा को सूचना में परिवर्तित कर देता है।
- सीपीयू को कंप्यूटर का मस्तिष्क/हृदय भी कहा जाता है।
सीपीयू के भाग–
- अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट- गणितीय एवं तार्किक गणना का कार्य करता है।
- कंट्रोल यूनिट – कंट्रोल यूनिट में उपस्थित कंट्रोल प्रोग्राम एग्जीक्यूट होकर संपूर्ण कंप्यूटर के क्रियाकलापों पर नियंत्रण रखते हैं।
- रजिस्टर– यह एक बहुत छोटी टेंपरेरी मेमोरी होती है, सीपीयू के कार्यों को करने में उसकी सहायता करती है यह सीपीयू का सबसे तीव्र भाग होता है यह सभी प्रकार की मेमोरी में सबसे तीव्र होती है।
मेमोरी यूनिट
- कंप्यूटर में उपस्थित डाटा को सुरक्षित रखने के लिए कंप्यूटर में मेमोरी का उपयोग किया जाता है यह दो प्रकार की होती है।
प्राइमरी मेमोरी अथवा मुख्य मेमोरी मेन मेमोरी–
- यह मेमोरी सीपीयू में प्रोसेस हो रहे डाटा को अस्थाई रूप से सुरक्षित रखने का कार्य करती है।
- इसमें उपस्थित डाटा सीपीयू के लिए तत्काल उपलब्ध होता है मेमोरी का आकार उसकी स्टोरेज क्षमता कहलाती है।
प्राइमरी मेमोरी 2 प्रकार की होती है-
1. रेंडम एक्सेस मेमोरी
- यह अस्थाई होती है अर्थात कंप्यूटर बंद होने पर इसका डाटा समाप्त हो जाता है।
- कंप्यूटर में की-बोर्ड अथवा अन्य इनपुट डिवाइस से इनपुट किया गया डाटा सर्वप्रथम इसमें ही सुरक्षित होता है।
- इसमें उपस्थित डाटा सीपीयू के लिए तत्काल उपलब्ध होता है।
2. रोम अथवा रीड ओनली मेमोरी
- रोम एक सेमीकंडक्टर चिप होती है इसमें संग्रहित डाटा सिर्फ एक ही बार लिखा जा सकता है जिसे बार-बार रीड अथवा पढ़ने की सुविधा होती है।
- रोम में कंप्यूटर का बॉयोस अर्थात बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम सुरक्षित होता है जो कि कंप्यूटर को बूटिंग प्रोसेस करने में सहायता करता है।
- कंप्यूटर को स्विच ऑन करने पर उसने उस उसमें उपस्थित बॉयोस स्वयं एग्जिक्यूट हो कर ऑपरेटिंग सिस्टम को रैम में संग्रहित/लोड कर उसे चालू करने में सहायता करता है।
रोम के प्रकार–
- प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (PROM)-
- इसमें उच्च वोल्टेज का उपयोग कर डाटा को फिर से लिखा जा सकता है।
- इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (EPROM)- इसमें पराबैंगनी विकिरण का उपयोग कर डाटा को पुन: लिखा जा सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिकली इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (EEPROM)- इसमें विशेष सॉफ्टवेयर द्वारा डाटा को पुन: लिखा जा सकता है।
फ्लैश मेमोरी–
- यह इलेक्ट्रॉनिकली इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी का एक प्रकार होता है।
- इसमें 1-1 बिट नहीं बल्कि समूह में ब्लॉक बनाकर डाटा को सुरक्षित किया जा सकता है।
रैम के प्रकार
- रैम का निर्माण मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (MOS) के द्वारा किया जाता है।
यह निम्न प्रकार की होती है–
- डायनामिक रैम स्टोरेज–
- इसके सेल परिपथ में 1 ट्रांजिस्टर लगा होता है इस कारण नया डाटा स्टोर करने के लिए इसे बार-बार रिफ्रेश करना पड़ता है।
- स्टैटिक रैम
- इसके स्टोरेज चल परिपथ में अनेक ट्रांजिस्टर लगे होते हैं, इस प्रकार इसे बार-बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- यह डी-रैम की तुलना में ज्यादा तीव्र होता है।
कैश मेमोरी–
- यह विशेष प्रकार की अत्यंत तीव्र मेमोरी होती है, इसका निर्माण स्टैटिक रैम द्वारा किया जाता है जिस डाटा को सी.पी.यू. द्वारा बार-बार पढ़ा जाता है उस डाटा को कैश मेमोरी में सुरक्षित किया जाता है।
- इसका उपयोग कंप्यूटर की दक्षता (SPEED) बढ़ाने के लिए किया जाता है।
सेकेंडरी मेमोरी –
- कंप्यूटर में उपस्थित डाटा को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
- प्राथमिक मेमोरी की तुलना में इसमें अधिक डाटा सुरक्षित किया जा सकता है।
- इसकी मेमोरी रीड-राइट स्पीड प्राथमिक मेमोरी से कम होती है।
सेकेंडरी मेमोरी के प्रकार–
- फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क, सीडी, डीवीडी, चुंबकीय टेप, पेनड्राइव, ब्लू-रे डिस्क।
इनपुट डिवाइस
की–बोर्ड–
- यह एक इनपुट डिवाइस होती है जिसमें अनेक की (KEY) उपस्थित होती है।
- किसी की को दबाने पर उसके समतुल्य एक नंबर जनरेट किया जाता है जिसे ASCII नंबर कहते हैं।
- की-बोर्ड का आविष्कार Qwerty Yuiop ने किया था।
माउस–
- इसका मुख्य कार्य यूजर इंटरफेस में किसी आईकॉन को चयन अथवा सिलेक्ट करना होता है।
- यह कंप्यूटर को यूजर इंटरफेस द्वारा यूजर को कार्य करने में सहायता करता है।
- प्रकार –लेजर माउस, ऑप्टिकल माउस, मैकेनिकल माउस
ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन (ओ.एम.आर.)
- ओ.एम.आर. का उपयोग प्रतियोगिता परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिका में बहुविकल्पीय उत्तरों को जांचने में किया जाता है।
ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर (ओ.सी.आर.)
- इसका उपयोग लिखे गए शब्दों को पढ़ने एवं डिजिटल रूप में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।
- इसकी गति 1500-3000 कैरेक्टर प्रति सेकंड होती है।
मैग्नेटिक इंक कैरक्टर रिकॉग्निशन (एम.आई.सी.आर.)
- इसके द्वारा चुंबकीय स्याही से लिखे गए शब्दों को पढ़ा जा सकता है।
- इसका उपयोग ऑटोमेटिक चेक क्लीयरेंस सिस्टम (Bank) में किया जाता है।
- डिजिटल मनी, डेबिट कार्ड, स्मार्ट कार्ड, क्रेडिट कार्ड इत्यादि को एटीएम मशीन में पढ़ने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
टच स्क्रीन–
- यह इनपुट एवं आउटपुट दोनों डिवाइस की भांति कार्य करता है।
- इसका उपयोग स्मार्टफोन टेबलेट विभिन्न मशीनों के कंट्रोल कंसोल में किया जाता है।
स्कैनर–
- यह प्रिंट किए गए डाटा को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- प्रकार- हैंड हेल्ड स्कैनर, ड्रम स्केनर, फ्लैट बेड स्कैनर।
माइक्रोफोन
- यह ध्वनि ऊर्जा को इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रिकल ऊर्जा को डिजिटल आवेश अर्थात 1/0 के रूप में करता है।
- माइक्रोफोन स्पीच रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर में उपयोग किया जाता है।
वेबकैम–
- यह एक डिजिटल कैमरा होता है जो कि कंप्यूटर से जोड़कर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग अथवा ऑनलाइन बातचीत करने में उपयोग किया जाता है।
आउटपुट डिवाइस
मॉनिटर–
- यह कंप्यूटर में स्टोर डाटा अथवा चित्रों को ग्राफिकल अथवा कैरेक्टर यूजर इंटरफेस के माध्यम से यूजर को प्रदर्शित करता है।
- मॉनिटर में चित्रों का निर्माण बिंदुओं के समूह द्वारा होता है एवं बिंदुओं का समूह पिक्सल (Pixel) कहलाता है।
- मॉनिटर की दक्षता का मापन रिजाल्यूशन (Resolution) द्वारा किया जाता है।
प्रकार –
- मॉनिटर कैथोड रे ट्यूब (सीआरटी)
- लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले मॉनिटर (एलसीडी)
- लाइट एमिटिंग डायोड मॉनिटर (एलईडी)
- 3D मॉनिटर
- Thin फिल्म ट्रांजिस्टर (टीएफटी)
प्रिंटर
- यह एक कंप्यूटर में संग्रहित सूचना को पेपर पर प्रिंट करने के लिए उपयोग किया जाने वाला उपकरण हैै।
- प्रिंटर की छमता का मापन- करैक्टर प्रति सेकेंड, लाइन प्रति मिनट, पेजेस प्रति मिनट।
- प्रिंटर की क्वालिटी का मापन- डॉट पर इंच (DPI)।
इंपैक्ट प्रिंटर | नॉन इंपैक्ट प्रिंटर |
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर | इंकजेट प्रिंटर |
लाइन प्रिंटर | थर्मल प्रिंटर |
ड्रम प्रिंटर | लेजर प्रिंटर |
डेजी व्हील प्रिंटर | इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रिंटर |
इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रिंटर |
प्रकार–
- सबसे उच्च गुणवत्ता का प्रिंटर- लेजरप्रिंटर।
- सबसे तीव्र प्रिंटर- इलेक्ट्रोमैग्नेटिकप्रिंटर, इसका उपयोग प्रेस में किया जाता है।
प्लॉटर–
- यह एक प्रकार का प्रिंटर होता है जो कि बड़े-बड़े कंस्ट्रक्शन मैप के प्रिंटिंग में किया जाता है।
प्रकार- 1. फ्लैट बेड प्लॉटर 2. ड्रम प्लॉटर
कंप्यूटर के विकास से संबंधित प्रमुख आविष्कार–
एबाकस | ली कै चÈन |
नेपियर बोंस | जॉन नेपियर |
स्लाइड रूल्स | जॉन नेपियर |
पास्कल केलकुलेटर | ब्लेज पास्कल |
लैबनीश केलकुलेटर | गॉटफ्रीड विल्हेम वॉन लीबनिज |
जैकार्ड लूम | जैकार्ड मैरी जोसेफ |
डिफरेंस इंजन | चाल्र्स बैबेज (1822) |
एनालिटिकल इंजन | चाल्र्स बैबेज (1833) |
प्रथम एल्गोरिथ्म | लेडी एडा |
टेबुलेटिंग मशीन | डॉ. होल रिथ |
प्रारंभिक छोटा कंप्यूटर मार्क वन | डॉ. हावर्ड हैथवे आईकैन (1843) |
एटनासॉफ़ बेरी कंप्यूटर (ए.बी.सी.) | 1942 |
इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर और कंप्यूटर (ANIAC) | 1946 |
EDSAC | 1949 |
Electronic Descrete VariableAutometic Computer (EDVAC) | 1950 |
LIO-1 Computer | 1951 |
UniversalAutomatic computer (UNIVAC) | 1951 |
कंप्यूटर की पीढ़ियां
- प्रथम पीढ़ी (1940-56)
- नवाचार- वेक्यूम ट्यूब का उपयोग।
- कंप्यूटर लैंग्वेज- मशीन लैंग्वेज एवं असेंबली लैंग्वेज का उपयोग।
प्रमुख कंप्यूटर-
- 1946- इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर और कंप्यूटर (ANIAC)
- 1949- Elocronic Delay StorageAutomatic Computer (EDSAC)
- 1950- Electronic descrete variableAutometic computer (EDVAC)
- 1951- LIO-1
- 1951- UniversalAutomatic computer (UNIVAC)
- विशेषता–इसमें निर्मित कंप्यूटर आकार में अत्यंत विशाल एवं ऊर्जा की अधिक खपत करने वाले होते थे।
2. दूसरी पीढ़ी (1956-1963)
- नवाचार- ट्रांजिस्टर का उपयोग (आविष्कार – विलियम शौकले)
- भाषा- FORTRAN (Formula Translator), COBOL (Common object Bussines Oriented Oanguage)
- प्रमुख कंप्यूटर-UNIVAC 117 , IBM 7094, CDS 3600
- विशेषता- प्रथम पीढ़ी की तुलना में की तुलना में आकार छोटा , उपयोग करना आसान एवं अधिक विश्वसनीय।
3.तीसरीपीढ़ी (1964-71)
- नवाचार- आईसी चिप का उपयोग (आविष्कार- जैक किल्बी)
- द्वितीयक मेमोरी का विकास मल्टीप्रोग्रामिंग एवं मल्टी प्रोसेसिंग का विकास।
- भाषा- C, C++, JAVA
- प्रमुख कंप्यूटर- UNIVAC 9000, IBM 360, Honewell 6000
- विशेषता- कंप्यूटर का आकार छोटा, लागत में कमी आई, छोटे छोटे कार्यालय में उपयोग प्रारंभ हुआ।
4. चौथी पीढ़ी (1971-1995)
- नवाचार- माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग।
- कंप्यूटर का नया नाम- माइक्रो कंप्यूटर, पीसी (Personal Computer)।
- प्रमुख भाषाएं-
- बेसिक- बेसिक का विकास (BASIC- BeginnersAll purpose symbolic instruction code)
- प्रमुख कंप्यूटर- PC- XT, PC-at, Pentium।
विशेषता–
- ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस (GUI) का उपयोग।
- इस पीढ़ी के कंप्यूटर पर्सनल कंप्यूटर पर्सनल कंप्यूटर कहलाने लगे।
- टेबल पर रखने योग्य आकार।
- गति अत्यंत तीव्र थी।
5. पांचवी पीढ़ी (1995-)
- नवाचार– कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का विकास, स्पीच रिकॉग्निशन तकनीक का उपयोग, रोबोट्स एवं रोबोट्स एवं वीडियो गेम्स।
- LSIC (Larg Scale Integreted circuit), VLSIC (Very Large Scale Integreted Circuit), ULSIC (Ultra Large Scale Integreted Circuit) चिप का उपयोग।
- आर्टिफिशियलइंटेलिजेंस– तकनीक है जिसके द्वारा मशीन में निर्णय करने एवं निर्णय लेने की क्षमता का विकास किया जाता है।
सुपर कंप्यूटर
- वह कंप्यूटर जो कि समानांतर प्रोसेसिंग (Parallel Processing) तकनीक पर आधारित होते हैं।
- वर्तमान में उपस्थित समस्त कंप्यूटर में यह सबसे तेज होते हैं।
- इनका उपयोग सबसे लंबी एवं जटिल घटनाओं को तीव्र गति से करने के लिए किया जाता है उदाहरण स्वरूप इनका उपयोग मौसम का पूर्वानुमान लगाने में अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण में उपग्रहों के प्रक्षेपण में आपदा प्रबंधन इत्यादि में किया जाता है।
- विश्व का प्रथम सुपर कंप्यूटर- इल्लीआक-4 (1975), इसे डेनियल स्लोटनिक ने विकसित किया था।
- भारत का प्रथम सुपर कंप्यूटर- परम 8000
- भारत का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर- Param Siddhi (2020)
- विश्व का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर-Fugaku (Japan)
- सुपर कंप्यूटर की स्पीड को FLOPS (Floating Point Operations Per Seconds) में तय किया जाता है।
- भारत के सुपर कंप्यूटर के जनक- डॉ विजय भटकर।
माइक्रोप्रोसेसर–
- यह एक चिप है जिसका निर्माण हार्डवेयर चिप में चलने वाले प्रोग्राम का उपयोग कर किया जाता है।
- इसमें लिखे प्रोग्राम को माइक्रो प्रोग्राम कहते हैं जो कि कंप्यूटर की कार्य प्रणाली को नियंत्रित करते हैं एवं उनके द्वारा अन्य कंप्यूटर डिवाइस पर नियंत्रण स्थापित करने का कार्य किया जाता है।
- माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग करने के कारण वर्तमान कंप्यूटर का आकार अत्यंत छोटा होता है जो कि माइक्रोकंप्यूटर कहलाते हैं।
प्रमुख माइक्रोप्रोसेसर–
- इंटेल 4004- 1971
- इंटेल 8008-1972
- इंटेल 8080- 1974
- इंटेल 8086 – 1978
- Pentium- 1978
- Itenium- 2001
भारत में कंप्यूटर–
- भारत में प्रथम कंप्यूटर वर्ष 1955 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute) कोलकाता में लगाया गया था।
- इस आईएसआई में स्थापित होने वाला HEC 2M पहला एनालॉग कंप्यूटर भारत का प्रथम कंप्यूटर था।
- 1966 में भारत का पहला कंप्यूटर ISIJU दो संस्थाओं भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute) और कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी (Jadavpur University) ने मिल कर विकसित किया।
- भारत में कंप्यूटर क्रांति का अग्रगामी संगठन सीडैक (सेंटर फॉर डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग) है।
- इसके द्वारा कंप्यूटर तकनीक का विकास किया गया है जिसका नाम- ZIST
- सीडैक द्वारा विकसित सुपर कंप्यूटर- परम, परम युवा 10000
- परम भारत का प्रथम सुपर कंप्यूटर है।
ऑपरेटिंग सिस्टम
- ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का केंद्रीय सॉफ्टवेयर होता है जो कि संपूर्ण कार्य प्रणाली पर नियंत्रण स्थापित करने एवं यूजर को यूजर इंटरफेस के माध्यम से कंप्यूटर को चलाने में सहायता प्रदान करता है।
कार्य–
- सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के कार्यों का प्रबंधन अथवा मैनेजमेंट करना।
- कंप्यूटर मेमोरी का प्रबंधन करना।
- कंप्यूटर में संलग्न इनपुट आउटपुट डिवाइस का मैनेजमेंट।
- फाइल मैनेजमेंट नेटवर्क मैनेजमेंट प्रोसेस मैनेजमेंट बैकअप एवं रिकवरी।
- नेटवर्किग।
प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम
–
UNIX | 1969 बेल प्रयोगशाला- केंन थोम्प्स्न, डेनिस रिची (Unix- Uniplexed InformationAnd Computing System) |
Linux | लिनस टोरवाल्स (17 सितम्बर, 1991) |
ब्लैकबेरी | ब्लैकबेरी कंपनी |
आईओएस | एप्पल इन कॉरपोरेशन |
सिंबियन | सिंबियन लिमिटेड |
एंड्राइड | 2007 (गूगल) |
माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम | माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 10- 30 सितंबर 2014 |
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 8- 2011 | |
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एनटी – 1993 | |
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 95 – 24 अगस्त 1995 | |
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 98 – 25 जून 1998 | |
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज मिलेनियम एडिशन 2000 – 17 फरवरी 2000 | |
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एक्सपी- 25 अक्टूबर 2001 | |
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज विस्टा- 30 जनवरी 2007 | |
माइक्रोसॉफ्ट विंडो 7- 22 अक्टूबर 2009 | |
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एनटी- 1993 | |
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 95 – 24 अगस्त 1995 |
प्रकार –
- सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
- मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
- मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
- बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम
- रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टमA. हार्ड रियल टाइम b.सॉफ्ट रियल टाइम
- टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम
- नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम
बूटिंग प्रोसेस–
- कंप्यूटर को चालू करने के तुरंत उपरांत बॉयोस द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम को चालू करने अर्थात RAM में लोड करने एवं इसे एक्जिक्यूट करने की क्रिया बूटिंग कहलाती है।
प्रकार –
- वार्म बूटिंग– वार्म बूटिंग कंप्यूटर को रीस्टार्ट करने पर होने वाली बूटिंग प्रक्रिया है।
- कोल्ड बूटिंग– कोल्ड बूटिंग कंप्यूटर को बंद होने के उपरांत पुन: चालू करने पर होने वाली प्रक्रिया है।
यूजर इंटरफेस
- वह माध्यम जिसके द्वारा यूज़र कंप्यूटर से जुड़ता है एवं अपने कार्य संपन्न करता है यूजर इंटरफेस कहलाता है।
यह दो प्रकार का होता है –
- कैरेक्टर यूजर इंटरफेस- LINUX, UNIX
- ग्राफिकल यूजर इंटरफेस LINUX, WINDOWS, MOTIF, MACHINTOSH
साइबर सिक्योरिटी
साइबर क्राइम
- सूचना प्रौद्योगिकी के अंतर्गत विभिन्न तकनीकों का उपयोग कर सूचना तक अनाधिकृत पहुंच, दुरुपयोग, सूचना को प्रकट करना, सूचना को क्षति पहुंचाना अथवा निगरानी करना साइबर क्राइम कहलाता है।
साइबर सिक्योरिटी –
कंप्यूटर अथवा कंप्यूटर नेटवर्क में संचित अथवा सुरक्षित सूचना तक अनाधिकृत प्रवेश, नष्ट होने, उसके प्रकट होने, गलत उपयोग, सूचना में संशोधन होने से बचाना साइबर सिक्योरिटी कहलाता है।
साइबर हमलों में आम तौर पर 3 लोग सक्रिय होते हैं–
- साइबर माफिया– यह सूचनाओं को एकत्रित कर गलत हाथों में बेच देते हैं।
- विभिन्न राष्ट्रों की खुफिया एजेंसी– यह अन्य राष्ट्रों की खुफिया जानकारी एकत्रित कर का उपयोग कूटनीतिक रूप से करती है।
- विभिन्न आतंकी संगठन– आतंकी संगठन चुराई गई जानकारियों का उपयोग सामाजिक वैमनस्य फैलाने के लिए करते हैं।
साइबर सिक्योरिटी के अवयव–
- इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी मैनेजमेंट
- नेटवर्क सिक्योरिटी
- कंप्यूटर और डाटा सिक्योरिटी
साइबर सुरक्षा हेतु दावे–
- सुरक्षा थिंक टैंक का निर्माण
- व्यापक प्रशिक्षण एवं जागरूकता
- साइबर युद्ध अभ्यास
- कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT)
साइबर अपराध के प्रकार–
- ऑर्गेनाइजेशन आफ इकोनामिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट के अनुसार या दो प्रकार के होते हैं-
1. सामान्य अपराध– ऐसे अपराध जिसमें सिर्फ एक कंप्यूटर का उपयोग कर अपराध किया जाता है।
- जैसे- गलत सूचना भरना।
- प्रोग्राम में गड़बड़ी करना।
- मेंलीशियस सॉफ्टवेयर कंप्यूटर में डालना।
- सूचना को नष्ट करना।
2. साइबर अपराध
- वह अपराध इंटरनेट का उपयोग कर बड़ी संख्या में कंप्यूटर को प्रभावित करते हैं साइबर अपराध की श्रेणी में आते हैं।
- हैकिंग, आंकड़ों की जासूसी, पासवर्ड चोरी करना, वार्म अथवा वायरस, अनेक वित्तीय एवं व्यवसायिक धोखाधड़ी करना।
प्रमुख साइबर थ्रेट्स–
अनाधिकृत प्रवेश (अनऑथराइज्ड एक्सेस)
- जब कोई साइबर अपराधी किसी व्यक्ति अथवा संस्था के निजी डेटा तक बिना अनुमति के प्रवेश करता है तो यह अनाधिकृत प्रवेश कहलाता है।
फिशिंग (Phising)
- विभिन्न लुभावनी बातों अथवा अधिकृत संस्था की झूठी पहचान दिखाकर उपयोगकर्ता की संवेदनशील जानकारी प्राप्त करना।
- इसमें अपराधी बड़े पैमाने पर बैंक से पैसा चुराने की घटनाओं को अंजाम देते हैं।
- जैसे- यूजर नेम, पासवर्ड, बैंक डिटेल इत्यादि प्राप्त करना।
मालवेयर सॉफ्टवेयर (Malware)
- इससे तात्पर्य मालीशियस सॉफ्टवेयर अथवा बुरे सॉफ्टवेयर से है इसके अंतर्गत ट्रोजन हॉर्स, वार्म, वायरस इत्यादि सॉफ्टवेयर आते हैं जोकि उपयोगकर्ता की महत्वपूर्ण सूचनाओं को नष्ट करने, उन्हें नुकसान पहुंचाने अथवा उनमें परिवर्तन करने का कार्य करते हैं।
वायरस
- वायरस अर्थात वोलेटाइल इनफॉरमेशन रिसोर्सेस अंडर सीज होता है।
- वायरस नियोजित प्रोग्राम होता है जो किसी कंप्यूटर सिस्टम से सूचना चुराने, सूचना को बदलने अथवा उसे डिलीट करने हेतु साइबर अपराधी द्वारा उपयोग किए जाते हैं।
- यह सिस्टम की दक्षता एवं गति को भी प्रभावित कर सकते हैं।
- वर्ष 1986 में सर्वप्रथम कंप्यूटर वायरस का आक्रमण हुआ था जिसका नाम ‘ब्रेन’ था।
- उदाहरण- आई लव यू, ट्रोजन हॉर्स वायरस, चेर्नोबिल वायरस, मेजिला वायरस।
वायरस के प्रकार–
- पॉलीमोरफिक वायरस- यह वायरस हर बार अपने रूप बदलकर सिस्टम को संक्रमित करता रहता है एवं सिस्टम में अपनी अनगिनत कॉपी तैयार करने में सक्षम होता है एवं सिस्टम की गति एवं उसकी कार्य क्षमता को प्रभावित करता है।
- बूट सेक्टर वायरस- यह वायरस सिस्टम की बूट फाइल को संक्रमित करता है जिसे सिस्टम चालू होने में समस्या उत्पन्न होती है।
- रेजिडेंट वायरस- यह वायरस सिस्टम की रैम में अपना स्थान बना लेता है और ऑपरेटिंग सिस्टम के एग्जीक्यूट होने पर स्वयं को एक्जिक्यूट कर लेता है।
- फाइल सिस्टम वायरस- यह वायरस किसी फाइल के डायरेक्टरी में परिवर्तन कर देता है जिससे अगली बार फाइल को एक्सेस करते समय समस्या उत्पन्न होती है।
- डायरेक्ट एक्शन वायरस- यह वायरस स्वयं को किसी भी एग्जीक्यूटेबल फाइल में सुरक्षित कर देता है फाइल के एग्जीक्यूट होते समय स्वयं एग्जीक्यूट हो जाता है। यह वायरस केवल .bat file को ही संक्रमित अथवा करप्ट करता है।
- ट्रोजन वायरस – ट्रोजन वायरस हैकर द्वारा किसी सिस्टम में अनाधिकृत रूप से प्रवेश करने एवं उसकी गुप्त जानकारी को सुरक्षित कर उसे स्थापित करने वाले व्यक्ति को भेजता रहता है। Ex- जीरो एक्सेस रूट किट।
- स्पाइवेयर – यह मालवेयर सिस्टम में प्रवेश कर उपयोगकर्ता की समस्त गतिविधियों पर निगरानी रखता है एवं उसकी गुप्त सूचनाओं की सूची तैयार करता है। Ex- key loggers, zlob, trojan
- रुटकिट्स – यह वायरस सिस्टम में प्रवेश कर सभी नियंत्रण अपने हाथ में ले लेता है और एडमिनिस्ट्रेशन जैसे क्रियाकलाप करता है।
वार्म (Worm)
- यह कंप्यूटर प्रोग्राम नहीं अपितु अनेक प्रोग्राम का समूह होता है जो कि इंटरनेट के माध्यम से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में फैलते हैं।
- कंप्यूटर में एकजुट होकर अपनी गतिविधियां कंप्यूटर के महत्वपूर्ण रिसोर्सेज जैसे- मेमोरी, सीपीयू का दुरुपयोग करते हैं।
- वॉर्म वायरस कंप्यूटर नेटवर्क को पूर्ण रूप से प्रभावित कर उनकी कार्यप्रणाली को पूर्णत: ठप कर सकते हैं।
- उदाहरण- हैप्पी-99, वार्म कोड रेड।
सलामी हमला अथवा लॉजिक बम–
- यह एक आर्थिक अपराध है जिसमें किसी विशेष समय अथवा अवसर पर साइबर अपराधी के खाते से एक छोटी सी रकम निकाल लेता है जिसका ग्राहक को पता भी नहीं चलता है।
- यह किसी विशेष वर्ण अक्षर वाले नाम के खातों पर अपना प्रभाव डालता है।
Denial of service अटैक –
- इसके अंतर्गत अपराधी सुनियोजित प्रोग्राम अथवा सॉफ्टवेयर का उपयोग कर किसी सर्विस प्रदाता सर्वर पर बड़ी मात्रा में झूठी रिक्वेस्ट भेजता है जिससे अकारण सर्वर डाउन हो जाता है एवं वास्तविक उपयोगकर्ताओं को अपनी सेवा प्रदान करने में अक्षम हो जाता है।
साइबर जासूसी–
- साइबर जासूसी के अंतर्गत अपराधी विशेष टूल अथवा सॉफ्टवेयर का उपयोग कर किसी सिस्टम के कार्यकलापों की निगरानी करता है एवं संवेदनशील सूचना को गुप्त रूप से चुराने का प्रयास करता है।
स्पैम–
- अनावश्यक एवं अनचाही सूचना जो कि मार्केटिंग अथवा प्रचार के उद्देश्य से उपयोगकर्ता को ईमेल अथवा मैसेज के माध्यम से भेजी जाती है।
- ऐसे मैसेज ही स्पैम कहे जाते हैं एवं इन्हें भेजने वाले व्यक्ति स्पैमर कहे जाते हैं।
आईडेंटिटी थेफ्ट/ पहचान का चोरी होना–
- उपयोगकर्ता की पहचान चुराना
- इसके अंतर्गत अपराधी किसी व्यक्ति की पहचान चुराकर उसका दुरुपयोग अपने लाभ के लिए अथवा स्वार्थ पूर्ति के लिए करते हैं।
हैकिंग–
- किसी कंप्यूटर अथवा संस्थान के नेटवर्क में अनाधिकृत रूप से प्रवेश करना हैकिंग कहलाता है।
- यह कार्य करने वाला प्रशिक्षित व्यक्ति हैकर कहलाता है।
यह दो प्रकार के होते हैं –
- ब्लैक हेट हैकर– हैकिंग का उपयोग गलत इरादों जैसे नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से करता है।
- वाइट हेट हैकर– हैकिंग का उपयोग राष्ट्र की सेवा, संगठन के डेटा की सुरक्षा हेतु करते हैं।
डाटा डीडलिंग–
- इसके अंतर्गत कंप्यूटर में प्रोसेस होने से पूर्व आंकड़ों में परिवर्तन कर दिया जाता है और प्रोसेस होने के उपरांत पुन: वास्तविक रूप में बदल दिया जाता है।
- ऐसे अपराध ज्यादातर ऐसी कंपनियों द्वारा किए जाते हैं जो जांच एजेंसी को अपना पूर्ण विवरण उपलब्ध नहीं करवाना चाहती हैं।
साइबर स्टॉकिंग –
- इंटरनेट का उपयोग कर किसी व्यक्ति का पीछा कर धमकाना अथवा परेशान करना।
- अपराधी व्यक्ति की निजी सूचना, फोटोग्राफ्स अथवा वीडियो चुराकर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं और उनका लाभ अपने स्वार्थ पूर्ति हेतु करते है।
- ऐसे अपराधी साइबर स्टॉकर कहलाते हैं।
साइबर पोर्नोग्राफी –
- अश्लील वेबसाइट का निर्माण, अश्लील चित्र भेजना, अश्लील साहित्य लिखना अथवा डाउनलोड करना जैसे।अपराध आते हैं।
ट्रैफिकिंग गैरकानूनी उत्पादों एवं व्यक्तियों की बिक्री –
- गैर कानूनी मादक पदार्थ, हथियार, वन्यजीव, नाबालिक बच्चों, महिलाओं की तस्करी जैसे अपराधों को साइबर माध्यम से किया जाता है यही ट्रैफिकिंग कहलाता है।
स्पूफिंग (Spoofing)–
- इसमें किसी अन्य व्यक्ति के ईमेल एड्रेस एवं आइडेंटिटी का उपयोग कर किसी व्यक्ति अथवा महिला को परेशान अथवा बदला लेने की नीयत से गलत कार्य करना स्पूफिंग कहलाता है।
इंटरनेट तथा सोशल नेटवर्किग साइटस
नेटवर्क–
- विभिन्न कंप्यूटर्स को आपस में जोड़कर सूचनाओं का आदान प्रदान करना नेटवर्क कहलाता है।
- नेटवर्क निर्माण का उद्देश्य ऑनलाइन व्यापार, सूचना, बैंकिंग, शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा, डेटाबेस का उपयोग करना अर्थात कंप्यूटर एवं सर्वर कंप्यूटर के बीच में सूचनाओं का आदान प्रदान करना है।
नेटवर्क के अवयव–
सर्वर– डाटाबेस सर्वर, मेलसर्वर, फाइल सर्वर, डायरेक्टरी सर्वर
- नोड अथवा क्लाइंट
- नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम
केबल –
- ट्विस्टेड पेयर केबल, कोएक्सियल केबल, फाइबर ऑप्टिक केबल
नेटवर्किग डिवाइस–
- राउटर, स्विच, हब, रिपीटर, ब्रिज, गेटवे
- नेटवर्क इंटरफेस कार्ड इथरनेट कार्ड
नेटवर्क के प्रकार–
- लोकल एरिया नेटवर्क (LAN)– बिल्डिंग अथवा संस्थान
- मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (MAN)– एक शहर
- वाइड एरिया नेटवर्क (WAN)– इंटरनेट का एक भाग
नेटवर्क कनेक्शन के प्रकार–
- डायल अप कनेक्शन–
- यह लोकल टेलीफोन लाइन के माध्यम से प्रयोग किया जाने वाला कनेक्शन है जिसमें प्रत्येक बार कनेक्शन स्थापित करने हेतु एक नंबर डायल करना होता है।
- इस प्रकार की सर्विस स्विचिंग सर्विस कहलाती है।
- इसकी गति अथवा बैंडविथ अत्यंत कम होती है।
- लिस्ड लाइन
- लिस्ड लाइन कनेक्शन उपयोगकर्ता द्वारा किराए पर लिया जाता है जिसके लिए उसे नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर को भुगतान करना पड़ता है।
- इसमें एक डेडीकेटेड चैनल उपयोगकर्ता को 24 घंटे उपलब्ध रहती है।
- इसमें ट्रैफिक अत्यंत कम होने के कारण यह उच्च गति प्राप्त नेटवर्क कनेक्शन होता है।
- आई.एस.डी.एन. इंटीग्रेटेड सर्विस डिजिटल नेटवर्क
- यह डिजिटल ट्रांसमिशन मीडिया के रूप में उपलब्ध नेटवर्क है जो कि उपयोगकर्ता को डेटा, वॉइस, वीडियो , भेजने की सुविधा उपलब्ध करवाता है।
- ब्रॉडबैंड कनेक्शन
- यह आई.एस.डी.एन. के समान उच्च गति वाला ट्रांसमिशन कनेक्शन होता है जो कि डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन , कोएक्सियल केबल, फाइबर ऑप्टिक केबल पर उपलब्ध होता है।
- एसिमिट्रिक डिजिटल सब्सक्राइबर लिंक (ए.डी.एस.एल.)
- यह कनेक्शन टेलीफोन सुविधा के साथ-साथ इंटरनेट की सुविधा भी प्रदान करता है।
- वाईफाई
- अर्थात वायरलेस फिडेलिटी
- उपलब्धता- 30 मीटर
- यह वायरलेस माध्यम में इंटरनेट सुविधा प्रदान करने वाला माध्यम है।
- इसमें तुलनात्मक Cable की अधिक गति से नेटवर्क एक्सेस किया जा सकता है।
- वाईमैक्स
- यह वाईफाई के समन वायरलेस नेटवर्क एक्सेस सुविधा प्रदान करता है इसकी उपलब्धता 10 मीटर एवं गति 2 एम.बी.पी.एस. होती है।
इंटरनेट (Internet)
- इंटरनेट एक विशाल नेटवर्क है जिसमें अनेक नेटवर्क आपस में जुड़े होते हैं इसे नेटवर्क का नेटवर्क कहते हैं।
विकास–
1950 | शुरुआत |
1960 | इसका विकसित रूप डिफेंस एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी द्वारा विकसित। |
1962 | DWARPA द्वारा कंप्यूटर नेटवर्क रिसर्च प्रारंभ। |
21 नवंबर 1969 | कैलिफ़ोर्निया एवं स्टैंडर्ड रिसर्च इंस्टिट्यूट के बीच स्थापित किया गया। |
अप्रैल 1969 | स्पीड ब्रेकर द्वारा प्रथम होस्ट सॉफ्टवेयर का विकास ARPANET, इंटरनेट शब्द जेरॉक्स नेटवर्क सिस्टम द्वारा दिया गया। |
1980 | एशिया में इंटरनेट का शुभारंभ। |
1995 | विदेश संचार निगम लि. (वी.एस.एन.एल.) द्वारा भारत में इंटरनेट की शुरुआत। |
इंटरनेट के तत्व–
- क्लाइंट, सर्वर, नोड, हाइपरटेक्स्ट, हाइपरलिंक
- यू.आर.एल. (प्रोटोकोल सर्वर नेम फाइल नेम फ़ाइल पथ)
क्लाइंट
- वह छोटे कंप्यूटर जो सर्वर से इंटरनेट द्वारा जुड़कर विभिन्न प्रकार की सुविधा प्राप्त करते हैं।
सर्वर–
- वह कंप्यूटर जो इंटरनेट के माध्यम से क्लाइंट को विभिन्न प्रकार की सेवा प्रदान करते हैं सर्वर कहलाते हैं।
यूआरएल (यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर)
- यह एक प्रकार का एड्रेस है जो कि इंटरनेट से जुड़े सर्वर एवं उसमें सुरक्षित दस्तावेजों अथवा डॉक्यूमेंट का पता बताते हैं।
- इसके माध्यम से किसी भी डॉक्यूमेंट को इंटरनेट पर आसानी से ढूंढा जा सकता है।
यूआरएल के भाग–
प्रोटोकॉल–
- यह इंटरनेट पर सफल संचार स्थापित करने के लिए नियमों का एक समूह होता है।
- जैसे- एचटीटीपी, टीसीपी, आईपी (HTTP ,TCP ,IP)
सर्वर नेम–
- यू.आर.एल. में सर्वर नेम उस कंप्यूटर को लोकेट करता है जिसमें समस्त फाइल सुरक्षित रखी गई है प्रोटोकॉल के साथ-साथ ब्राउज़र में सर्वर नेम डालने पर उसमें सुरक्षित फाइल दिखाई पड़ती है।
फाइल नेम-
- यू.आर.एल. का यह तीसरा भाग है जो कि सर्वर में सुरक्षित फाइल को लोकेट करता है।
- उदाहरण- Http://www.Example.Nic.in/MyDirectory/Example.txt जहा–
- Http:प्रोटोकॉल
- www.Example.Nic.in:सर्वर नेम
- MyDirectory: Directory
- Example.txt: फाइल नेम
हाइपर टेक्स्ट–
- यह किसी पेज पर उपस्थित वह शब्द होते हैं जो उसके द्वारा टेक्स्ट ध्वनि इमेज एवं अन्य क्रियाओं को आपस में जोड़ा जा सकता है।
हाइपरलिंक–
- वेब पेज पर उपस्थित अतिरिक्त सूचना युक्त शब्द जो इस स्क्रीन पर उभरे हुए प्रतीत होते हैं इस पर क्लिक करने पर यह अतिरिक्त सूचना प्रदान करते हैं।
- प्रकार– टेक्स्ट, इमेज मैप, इमेज
इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (आई.एस.पी.)
- यह वे कंपनियां होती है जो कि इंटरनेट एक्सेस की सुविधा ग्राहकों को सेवा के रूप में प्रदान करती है।
- जैसे- एयरटेल, आइडिया, वोडाफोन, जिओ, बी.एस.एन.एल.
डोमेन नेम सिस्टम (डी.एन.एस.)
- डी.एन.एस. एक प्रकार के बड़े सर्वर कंप्यूटर होते हैं जो कि इंटरनेट से जुड़े हुए कंप्यूटर्स के आईपी एड्रेस और नामों को सुरक्षित रखने हेतु उपयोग किए जाते हैं।
- वास्तव में इसका उपयोग इंटरनेट उपयोग को आसान बनाने के लिए किया जाता है।
- जब हम किसी सर्वर के नाम से उसे सर्च करते हैं तो वह रिक्वेस्ट डीएनस सर्वर के पास जाती है, सर्वर उस नाम से संलग्न आईपी ऐड्रेस वाले कंप्यूटर पर रिक्वेस्ट फॉरवर्ड करता है और प्राप्त रिस्पांस को क्लाइंट कंप्यूटर पर भेज देता है।
डोमेन नेम के प्रकार–
- जेनेरिक टॉप लेवल डोमेन
- वर्ग अथवा संस्था के अनुसार ।
- इसमें अधिकतम तीन अक्षर होते हैं।
- Ex- .com, .org
कंट्री टॉप लेवल डोमेन
- यह देश के अनुसार होता है।
- इसमें 2 अक्षर होते हैं।
- Ex- .in, .usa
डब्लू डब्लू डब्लू (वर्ल्ड वाइड वेब)
- समस्त वेबसाइट वेब पेज एवं वेब डॉक्यूमेंट का आपस में जुड़ा हुआ समूह वर्ल्ड वाइड वेब कहलाता है।
वेबसाइट –
- आपस में जुड़े हुए वेब पेज का समूह वेबसाइट कहलाता है।
- यह इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न सूचनाओं का सुनियोजित रखने एवं प्रदर्शित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
वेब ब्राउज़र
- यह क्लाइंट साइड सॉफ्टवेयर है जो कि क्लाइंट कंप्यूटर में इंस्टॉल किया जाता है।
- प्रथम वेब ब्राउज़र मोजैक था जिसका निर्माण मार्क एंडरसन ने किया था
- यह एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होता है।
- इसकी सहायता से उपयोगकर्ता इंटरनेट से जुड़ सकता है।
- यह मुख्यत: वेब पेज को प्रदर्शित करने का कार्य करता है।
- वह ब्राउज़र पर दिखने वाला वेब पेज एच.टी.एम.एल. (HTML- Hyper Text Markup Language) में लिखा जाता है।
- यह सामान्य फ्रीवेयर सॉफ्टवेयर होते हैं
- यह इंटरनेट से जुड़ने के लिए एचटीटीपी प्रोटोकोल का उपयोग करता है।
ब्राउजर का इतिहास –
- टिम बैरनर्स-ली- हाइपरलिंक का विकास।
- टिम बैरनर्स-ली- एच.टी.एम.एल. भाषा का निर्माण ।
- टिम बैरनर्स-ली- एच.टी.एम.एल. को विशेष कमांड में लिखा जाता है. इन विशेष कमांड को “एचटीएमएल टैग” के नाम से जाना जाता है।
- टिम बैरनर्स ली- ली- उन्होंने एक ऐसा प्रोग्राम बनाया जो “एचटीएमएल टैग” को समझता था।
- टिम बैरनर्स-ली- ने इस प्रोग्राम को ब्राउजर नाम दिया ।
- पहले वेब ब्राउजर का नाम “डब्ल्यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू.” w.w.w. (वर्ल्ड वाइड वेब)होता था।
वेब ब्राउजर | निर्माणकर्ता |
Internet Explorer | माइक्रोसॉफ्ट (1995) |
Safari Browser | Apple Inc |
Opera Browser | Opera Software (1995) |
Maxthon | मैक्सथन फ्रीवेयर वेब ब्राउज़र, मैक्सथन लिमिटेड |
The Sea Monkey | मोजिला फाउंडेशन |
Gnome web | गनोम डेस्कटॉप |
Netscape navigatior | नेटस्केप कम्युनिकेशन |
Google Chrome- | लोकप्रिय वेब ब्राउजर गूगल ने बनाया है (2008) |
Mozilla Firefox- | Mozilla Foundation और Mozilla Corporation |
OmniWeb | Omni Group |
Epic | |
iCab | मैक इंटरनेट ब्राउज़र |
Camino | मैक ओएस एक्स ब्राउज़र |
Links | ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर |
AWeb | यवोन रोज़िज़न द्वारा विकसित |
Cyberdog | साइबरडॉग |
PowerBrowser | |
ग्रिल इंटरनेट ब्राउज़र | |
UdiWWW | फ्रीवेयर ब्राउज़र सॉफ्टवेयर |
ईमेल–
- ईमेल- इलेक्ट्रॉनिक मेल
- यह मेसेज भेजने का माध्यम है जिसमे कंप्यूटर नेटवर्क से हज़ारों किलो मीटर दूर बैठे किसी भी व्यक्ति को तुरंत इलेक्ट्रॉनिक मेसेज भेज सकते हैं।
प्रमुख ईमेल सर्विस प्रदाता–
- जी-मेल (gmail) जो की पूरे विश्व मे सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।
- हॉटमेल (hotmail), रेडिफ मेल (rediff Mail), याहूमेल (yahoo mail)
ईमेल पता– Info.Jadu@gmail.com
- Info.Jadu- मेल बॉक्स का नाम
- @- मेल का प्रतीक
- Gmail- मेल सेवा प्रदाता
- .com- डोमेन नाम
सोशल नेटवर्किग
- सोशल नेटवर्किग एक वेबसाइट है जिसके माध्यम से अपने दोस्तों, सहपाठियों एवं इन लोगों से आपस में मिल सकता है, उनसे बात कर सकता है, अपने विचार एवं अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकता है।
- वास्तव में सोशल नेटवर्किग वेबसाइट वर्तमान में एक मीडिया अथवा पत्रकारिता का काम करता है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति एक रिपोर्टर है।
- सोशल नेटवर्किग वेबसाइट के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति अपनी प्रोफाइल का निर्माण कर सकता है एवं अन्य व्यक्तियों से जुड़ सकता है एवं अपने फोटोग्राफ, फाइल अथवा वीडियो को शेयर कर सकता है।
- विश्व की प्रथम सोशल नेटवर्किग वेबसाइट 1997 में निर्मित एंड्रयू व्हेन रिच द्वारा निर्मित सिक्स डिग्रीस डॉट कॉम (SixDegrees.com) है।
- जेन माउंट और डैन पेल्सन द्वारा ठवसज.बवउ बोल्ट डॉट कॉम (Bolt.com) प्रथम निर्मित सोशल नेटवर्किग वेबसाइट है किंतु इसे प्रथम वेबसाइट नहीं माना जाता।
सोशल नेटवर्किग वेबसाइट | स्थापना | ||
फेसबुक | फरवरी 2004 | ||
YouTube | फरवरी 2005 | ||
माइस्पेस | न्यूज कॉर्पोरेशन के स्वामित्व | ||
ट्विटर | 2006 | ||
फ़्लिकर | फरवरी 2004 | ||
फोटोबकेट | 2003 | ||
लिंक्डइन | 2002 | ||
Dig | नवंबर 2004 | ||
Çनग | अक्टूबर 2004 | ||
स्क्वीडू | अक्टूबर 2005 | ||
स्क्रिप्ड | 2006 | ||
stumbleupon | नवंबर 2001। | ||
hi5 | 2003 | ||
bebo | 2005 | ||
2005 | |||
myyearbook | 2005 | ||
kaboodle | 2005 | ||
friendster | 2002 | ||
flixster | जनवरी 2010 | ||
Xanga | 2009 | ||
epinions | 1999 | ||
plaxo | 2002 | ||
Google+ | 28 June 2011 | ||
6 October 2010 | |||
Orkut | 2004 | ||
30 Sep 2015 |
- फेसबुक का निर्माण मार्क इलियट जुकेरबर्ग ने अपने साथियों एडुआडर्ो सवेरिन, डीउस्टिन मोस्कोवीटज , एंड्रयू मककोल्लुम तथा च्रिस ह्यूज ने साथ मिल कर 4 फरवरी 2004 को किया।वर्तमान समय में फेसबुक विश्व की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किग वेबसाइट है।
सामाजिक नेटवर्किग सेवाओं के प्रकार-
- प्रोफाइल आधारित (Profile Based)
- Social Search आधारित
- सामग्री आधारित (Content based)
- उपनाम आधारित (White label)
- बहु-उपयोगकर्ता वर्चुअल वातावरण (Multi&User Virtual Environments)
ई–कॉमर्स
- इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स इंटरनेट द्वारा व्यापार करने का एक माध्यम है।
- इसके अंतगर्त वस्तुओं या सेवाओं की खरीद या बिक्री इंटरनेट के माध्यम से होती है।
- इस तरह इंटरनेट के माध्यम से सेवाओं और वस्तुओं की खरीद और बिक्री को ई-कॉमर्स कहते है।
- इसकी शुरुवात 1960 के दशक से हुई।
ई–कॉमर्स के उदाहरण :-
- ऑनलाइन खरीदारी
- इलेक्ट्रॉनिक भुगतान
- ऑनलाइन नीलामी
- इंटरनेट बैंकिंग
- ऑनलाइन टिकटिंग
ई–कॉमर्स के लाभ –
- न्यूनतम पूंजी निवेश
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार।
- बेहतर ग्राहक सेवाएं।
- व्यापार प्रक्रियाओं को सरल और कुशल बनाने में सहायता करता है ।
- संगठन की उत्पादकता में वृद्धि।
- उत्पादों की लागत में कमी।
ई–कॉमर्स के प्रकार –
- बिजनेस टू बिजनेस ई-कॉमर्स (B2B)-
- इसमें दो व्यवसायों के बीच लेनदेन से संबंधित है।
- जैसे- कंपनी किसी दूसरी कंपनी से समान खरीद कर बेचना।
- बिजनेस टू कंजूमर ई–कॉमर्स (B2C)-
- इसमें व्यवसायी और ग्राहक के बीच लेनदेन होता है।
- सब से ज्यादा होने वाला ई-कॉमर्स है।
- जैसे- Amazon,E-bay, Flipkart आदि से उपभोक्ता का सीधे वस्तु खरीदना।
- कंजूमर टू बिजनेस ई–कॉमर्स (C2B)-
- यह ग्राहक एवं किसी व्यवसाय के मध्य संपन्न होता है।
- जैसे- ग्राहक द्वारा अपनी वेबसाइट बनाने के लिए सॉफ्टवेयर कंपनी में रिक्वायरमेंट देना।
- कंजूमर टू कंजूमर ई–कॉमर्स (C2C)-
- इसमें दो कस्टमर अथवा उपभोक्ता आपस में किसी वस्तु की खरीद बिक्री के संबंध में चर्चा करते हैं।
- जैसे- ओ.एल.एक्स., इ-बे।
- बिजनेस टू गवर्नमेंट ई–कॉमर्स (B2G)-
- इसमें व्यवसाय एवं सरकार के मध्य संपन्न व्यापार संबंधी लेनदेन शामिल किए जाते हैं।
- जैसे सामाजिक सुरक्षा, रोजगार, कानूनी दस्तावेज, रजिस्ट्री , लाइसेंस, इत्यादि।
- कंजूमर टू गवर्नमेंट ई–कॉमर्स (C2G)-
- इसमें सरकार एवं ग्राहक के बीच व्यवसायिक लेनदेन संपन्न होते हैं।
- जैसे कर का भुगतान भुगतान, स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ।
ई–कॉमर्स का इतिहास–
- 1960 – ई-कॉमर्स की शुरुआत हुई जब से बिज़नेस डयॉक्युामेंट को शेयर करने के लिए।
- इलेक्ट्रॉनिक सुचना का आदान प्रदान (EDI) का प्रयोग शुरू हुआ ।
- 1979- अमेरिकन नेशनल स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूट ने व्यवसायों के लिए एक युनिवर्सल स्डैंडर्ड विकसित किया।
- 1990- दशक में eBay और Amazon के उदय से ई-कॉमर्स में क्रांतिकारी परिवर्तन आया।
भारत में ई–कॉमर्स–
Amazon.in eBay.in Flipkart.com Paytm.com SnapDeal.com Naaptol.com Limeroad.com Fabindia.com Infibeam.com HomeShop18.com Shopping.IndiaTimes.com Shopping.rediff.com ShopClues.com Croma.com Zookr | Overcart.com Togofogo.com Valuecart.in Jabong.com Ajio.com StalkBuyLove.com Myntra.com Provogue.com 6pm.com Coolwinks.com Yepme.com Bluestone.com Fashionandyou.com Shoppersstop.com Gonoise.com | Netmeds.com Healthkart.com Bookmyshow.com Redbus.in MakeMyTrip.com Yatra.com ClearTrip.com Expedia.co.in GoiBibo Ixigo.com Hotels.com Thomascook.in Travelguru.com Zopper.com Latestone.com |
Via.com Oyorooms Airbnb Booking.com Agoda.com Printvenue.com Printland.in Vistaprint.in | Housefull.com Urbanladder.com Woodenstreet.com Craftsvilla.com Gaatha.com Homesake.in Vyomshop.com Handicraftshop.in Theindiacrafthouse.com Folkbridge.com Sportsjam.in Sports365.in | Dogspot.in Petsworld.in Pupkart.com Petshopindia.com Uread.com Decathlon.in Khelmart.com |
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