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मध्य प्रदेश के त्योहार एवं मेले
- May 22, 2022
- Posted by: Admin
- Category: Madhya Pradesh Specific Notes Art & Culture MP Patwari Exam MPPSC State PSC Exams
मध्य प्रदेश के त्योहार एवं मेले: इस लेख में, हम मध्य प्रदेश राज्य में मनाए जाने वाले सभी मेलों और त्योहारों को देखेंगे। इन मेलों और त्योहारों को अक्सर मध्य प्रदेश राज्य परीक्षाओं जैसे एमपीपीएससी, एमपी पटवारी, एमपी पुलिस कांस्टेबल, आदि में सीधे पूछा जाता है। इन नोट्स के पीडीएफ हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में मुफ्त में डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध हैं।
मध्य प्रदेश के त्योहार एवं मेले
मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्व एवं त्योहार
प्रदेश में मुख्य रूप से खजुराहो, भोजपुर एवं पचमढ़ी में शिवरात्रि का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। लोककला-संस्कृति को जीवित रखने में इंदौर, माण्डू व उज्जैन का मालवा उत्सव एवं खजुराहो के नृत्य उत्सव का विशिष्ट योगदान है ।
प्रमुख पर्व एवं उत्सव–
भगौरिया पर्व-
भील जनजाति का यह पर्व होली के अवसर पर रबी की फसल पकने पर मनाया जाता है। यह पर्व होलिका दहन से सात दिन पहले प्रारम्भ होता है, इसमें मुख्यतः तीन पर्व मनाये जाते हैं। पहले दो दिन गुलालिया, तत्पश्चात् दो दिन गोल गदेड़ो उत्सव तथा अन्तिम दो दिन उजाड़िया उत्सव मनाया जाता है । भगौरिया भीलों का प्रणय उत्सव भी है।
घडल्या-
घडल्या पर्व में युवतियाँ सामूहिक रूप से एकत्रित होकर नवरात्रि के अवसर पर नृत्य करती हैं। यह मालवा का प्रमुख पर्व है। इनमें एक युवती के सिर पर छिद्रयुक्त घड़ा रख कर व गाना गाते हुए अपने क्षेत्र में अनाज और पैसा एकत्र किया जाता है। घडल्या पर्व के समान अविवाहित युवकों द्वारा छला नामक त्यौहार भी मनाया जाता है।
करमा त्यौहार–
हरियाली आने की खुशी में करमा त्योहार मुख्य रूप से उरांव जनजाति के लोग मनाते हैं। जब धान रोकने के लिए तैयार हो जाते हैं तब यह उत्सव मनाया जाता है और करमा नृत्य किया जाता है।
सुआटा-
मालवा के घड़ल्या पर्व के समान ही बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सुआटा पर्व प्रसिद्ध है। इस पर्व में दीवार पर राक्षस की अलंकृत प्रतिमा स्थापित की जाती है तथा उसके ऊपरी भाग में शिव-पार्वती की प्रतिमा रखी जाती है, दीवार पर सूर्य और चंद्र बनाए जाते हैं तत्पश्चात् नवयुवतियाँ पूजन एवं गायन करती हैं।
भैय्या दूज –
मध्य प्रदेश में भैय्या दूज पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है । एक चैत्र माह में होली के पश्चात् तथा दूसरा कार्तिक माह में दीपावली के पश्चात् मनाया जाता है ।
हरेली या हरीरी –
किसानों के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है। वे इस दिन अपने कृषि उपयोग में आने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं। श्रावण माह की अमावस्या को यह पर्व मनाया जाता है। मंडला जिले यह इसी माह की पूर्णिमा को तथा मालवा क्षेत्र में अषाढ़ के महीने में मनाया जाता है। मालवा में इसे “हर्यागोधा” कहते हैं। स्त्रियां इस दिन व्रत रखती हैं।
अक्षय तृतीया-
बैशाख माह (अप्रैल-मई) की अक्षय तृतीया अविवाहित युवतियों का प्रमुख त्योहार है, जिसमें स्त्रियाँ वट वृक्ष की पूजा करती हैं।
लारूकाज-
गोंड जनजाति का प्रमुख पर्व लारूकाज, नारायण देव के सम्मान में मनाया जाता है। यह पर्व सुअर के विवाह का प्रतीक है। मान्यता है कि, इस पर्व से परिवार में सुख, समृद्धि और सम्पन्नता बनी रहती है।
बच्छावरस-
यह पर्व श्रावण मास में मनाया जाता है। इस अवसर पर महिलाएँ गायों की पूजा करती हैं तथा केवल बाजरा, मोठ व चने से बना भोजन ग्रहण करती हैं।
नवान्न पर्व –
बुन्देलखण्ड में फसल पकने पर दीपावली के 11वें दिन यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन गन्ना तथा ज्वार की पूजा की जाती है।
गणगौर-
मालवा अंचल में यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। एक बार चैत्र माह में तथा दूसरी बार भाद्रपद माह में इस पर्व में शिव-पार्वती जी की पूजा की जाती है।
नौराता-
दशहरे के समय 9 दिनों तक चलने वाला यह पर्व मुख्यतः महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इन 9 दिनों में स्त्रियाँ माँ दुर्गा की पूजा करती हैं और उपवास रखती हैं। कई जगह महिलाएँ गरबा नृत्य भी करती हैं।
रसनवा-
यह पर्व मंडला जिले के बैगाओं द्वारा आदि पुरुष नागा बैगा की स्मृति में मनाया जाता है। इस पर्व में बैगा लोग 9वें दिन मधुमक्खियों की पूजा करते हैं।
मेघनाथ-
फगुन में गोंड आदिवासियों द्वारा यह पर्व मनाया जाता है | मेघनाथ को यह सर्वोच्च देवता मानते हैं | यह फागुन माह के पहले पक्ष में गोंड आदिवासियों द्वारा मनाया जाता है | इस अवसर पर आदिवासी करतब दिखाते हैं एवं पूजा अनुष्ठान करते हैं |
संजा व मामूलिया-
यह पर्व अविवाहित युवतियों द्वारा मनाया जाता है, जो आश्विन माह में 16 दिन तक चलता है। इसके अन्तर्गत नवयुवतियाँ अपने घरों की दीवार पर गोबर से विभिन्न आकृतियाँ बनाती हैं तथा शाम को सामूहिक नृत्य करती हैं।
मडई-
मडई दक्षिणी मध्य प्रदेश में गोंड एवं उनकी उपजातियों का पर्व है। यह मंडला एवं डिंडोरी जिलों में मनाया जाता है ।
काकसार –
स्त्री व पुरूषों को एकान्त प्रदान करने वाला यह पर्व अबूझमाड़िया आदिवासियों का प्रमुख पर्व है। इस पर्व में युवा लड़के-लड़कियां एक दूसरे के गांवों में नृत्य करते पहुंचते हैं। इसमें अविवाहित युवक-युवतियां अपने लिए श्रेष्ठ जीवन साथी का चुनाव करते हैं |
मध्य प्रदेश के मेले
सिंहस्थ मेला (कुंभ मेला) :-
भारत में लगने वाले विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेलों में से एक कुंभ मेला सिंहस्थ मेला है, जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे पर आयोजित होता है। सिंहस्थ मेले का आयोजन प्रत्येक बारह वर्ष के अंतराल पर किया जाता है । यह मेला चैत्र मास की पूर्णिमा से वैशाख पूर्णिमा तक आयोजित होता है |
पीर बुधान का मेला :-
यह मेला लगभग 250 वर्षों से शिवपुरी जिले के सांवरा क्षेत्र में लग रहा है । पीर बुधान के मेले का आयोजन अगस्त-सितंबर माह में मुस्लिम संत पीर बुधान के मकबरे पर किया जाता है ।
हीरा भूमिया मेला :-
हीरा भूमिया मेला ग्वालियर क्षेत्र में अगस्त और सिंतबर महीने में आयोजित किया जाता है । यह मेला हीरामन बाबा की स्मृति में आयोजित होता है |
जागेश्वरी (जोगेश्वरी) देवी का मेला :-
अशोक नगर जिले के चंदेरी में जागेश्वरी (जोगेश्वरी) देवी का मेला आयोजित किया जाता है । यह प्रतिवर्ष हौजखास तालाब के समीप मार्च-अप्रैल माह में आयोजित किया जाता है |
तेजाजी का मेला :-
गुना जिले के भामावड़ में तेजाजी के मेले का आयोजन किया जाता है । तेजाजी की जयंती पर यह मेला आयोजित होता है। निमाड़ जिले में भी तेजाजी का मेला आयोजित होता है।
महामृत्युंजय का मेला :-
रीवा जिले में स्थित महामृत्यंजय मंदिर में बसंत पंचमी और शिवरात्रि को महामृत्युंजय का मेला लगता है।
रामलीला का मेला :-
इस मेले का आयोजन दतिया जिले की भांडेर तहसील में किया जाता है। इस मेले का आयोजन जनवरी-फरवरी महीने में होता है।
अमरकंटक का शिवरात्रि मेला :-
नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक में शिवरात्रि मेला लगता है। इस मेले का आयोजन कई वर्षों से किया जा रहा है ।
चंडी देवी का मेला :-
सीधी जिले के घोघरा नामक स्थल पर चंडी देवी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। यह मेला मार्च-अप्रैल में लगता है ।
बरमान का मेला :-
बरमान का मेला नरसिंहपुर जिले में नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित सुप्रसिद्ध ब्राह्मण घाट पर मकर संक्रांति के अवसर पर 13 दिवसीय मेला लगता है ।
काना बाबा का मेला :-
काना बाबा का मेला होशंगाबाद जिले के सोढलपुर नामक गांव में काना बाबा की समाधि पर आयोजित किया जाता है।
नागाजी का मेला :-
मुरैना जिले के पोरसा गांव में अकबर कालीन संत नागाजी की स्मृति में नागाजी का मेला आयोजित किया जाता है । यह मेला एक महीने तक चलता है ।
कालूजी महाराज का मेला :-
कालूजी महाराज का मेला खरगौन जिले (पश्चिमी निमाड़) के पिपल्या खुर्द में लगभग एक माह तक लगता है । इस मेले में निमाड़ी नस्ल के केड़ा बैलों का क्रय-विक्रय किया जाता है |
सिंगाजी का मेला :-
सिंगाजी का मेला खरगौन जिले (पश्चिमी निमाड़) के पिपल्या गांव में अगस्त-सितंबर महीने में एक सप्ताह के लिए मेला लगता है ।
धामोनी उर्स :-
सागर जिले के धामोनी में स्थित बाबा मस्तान अली शाह की मजार पर अप्रैल-मई महीने में धामोनी उर्स का आयोजन किया जाता है।
भगोरिया मेला :-
भगोरिया हाट/भगोरिया मेला झाबुआ जिले में प्रतिवर्ष होली के अवसर पर आयोजित किया जाता है।
बाबा शहाबुद्दीन औलिया का उर्स :-
बाबा शहाबुद्दीन औलिया का उर्स नीमच जिले में फरवरी महीने में सिर्फ चार दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। यहां बाबा शहाबुद्दीन की मजार है ।
सोनागिर का मेला :-
होली के अवसर पर दतिया में स्थित सोनागिर में प्रसिद्ध श्री दिगंबर जैन तीर्थ स्थल पर पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है ।
मठघोघरा का मेला :-
सिवनी जिले के भैरवनाथ नामक स्थल पर शिवरात्रि पर्व के अवसर पर 15 दिवसीय मठ घोघरा का मेला लगता है ।
गरीबनाथ का मेला :-
नाथ संप्रदाय के अनुयायी बाबा गरीबनाथ की स्मृति में शाजापुर जिले के अवन्तिपुर बडोदिया गांव में चैत्र माह में इस मेले का आयोजन किया जाता है |
सनकुआ का मेला :-
दतिया जिले में सिंध नदी के तट पर स्थित सनकुआ नमक स्थान पर प्रतिवर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा को इस मेले का आयोजन किया जाता है |
रामपापली का मेला :-
बालाघाट जिले में चंदन नदी के तट पर कार्तिक माह की पूर्णिमा के अवसर पर पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है |
गोटेमार मेला :-
यह मेला छिंदवाडा जिले के पांढुरना में भाद्रपद माह की अमावस्या को और सावरगांव के मध्य स्थित जाम नदी के तट पर आयोजित होता है | इस मेले में दोनों गाँवों के लोगों द्वार एक-दूसरे को पत्थर मारने का प्रचलन है |
अन्य प्रमुख मेले | |
मेला/ उर्स | स्थान |
बरमान का मेला नवग्रह का मेला चामुंडा देवी का मेला शहीद मेला सिद्धेश्वर मेला बल दाऊजी का मेला इजित्मा का मेला जल बिहारी का मेला मांधाता का मेला धर्मराजेश्वर मेला भगोरिया हाटनौदेवी का मेला सलकनपुर का मेला मठ घोंघरा का मेला भैरवनाथ का मेला कुंडेश्वर का मेला रामजी बाबा का मेला गधों का मेला रहस का मेला बालाजी का मेला बाणगंगा का मेला मढ़ई का मेला शंकरजी का मेला उमरेठ का मेघनाथ मेला वादकपुर का मेला बड़ोनी का मेला सनकुआ का मेला रतनगढ़ का मेला रामलीला का मेला सोनागिरी का मेला मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा व्यापारिक मेला माघ घोघरा का मेला चंडीदेवी का मेला हीरा भूमिया का मेला जागेश्वरी देवी का मेला तेजा बाबा का मेला शरद समैया का मेला सहस्त्रधारा मेला | नरसिंहपुर (गाडरवाडा गाँव) खरगौन देवास सनावद (खरगौन) शिवपुरी पन्ना भोपाल छतरपुर खंडवा मंदसौर झाबुआ रावतपुरा (भिण्ड) बुधनी (सीहोर) सिवनी सिवनी टीकमगढ़ होशंगाबाद उज्जैन गढाकोटा (सागर) बुरहानपुर शिवपुरी डिंडोरी चौरागढ़ (पचमढ़ी) छिंदवाड़ा दमोह दतिया दतिया दतिया दतिया दतिया ग्वालियर भैरोथान (सिवनी) घोघरा गांव (सीधी) गुनाचंदेरी (अशोकनगर) सनावत (गुना) पन्ना मंडला |
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