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IIT Madras, Indian Railways Partner To Develop India’s First Indigenous Hyperloop
- May 24, 2022
- Posted by: Admin
- Category: Science and Technology Current Affairs
IIT Madras, Indian Railways Partner To Develop India’s First Indigenous Hyperloop
The Ministry of Railways said that it will collaborate with the Indian Institute of Technology Madras (IIT Madras) to develop an indigenous Hyperloop system. The ministry will also help to set up a Centre of Excellence for Hyperloop Technologies at IIT Madras. The Centre will be built by IIT Madras through its existing Centre of Railway Research (CRR). This project is a significant step towards the ‘Make in India’ and the ‘Aatmanirbhar Bharat’ initiatives.
What will be the role of IIT Madras and the Ministry of Railways?
For this project, IIT Madras will receive Rs 8.34 crore in funding from the Indian Railways. Along with the financial support, the Indian Railways will also help in the manufacturing, and formulation of safety standards. Also, access to electrical testing facilities of the railways will be provided.
IIT Madras will be responsible to deliver design documentation for pod, tube, and track for the hyperloop system. The testing and performance data delivery for the pod prototype and the vacuum tube will also be done by the IIT Madras. The institute will also provide training to the railway personnel regarding the working of the hyperloop system.
What is Hyperloop?
Hyperloop is a new type of transport technology that uses magnetic levitation in low-pressure tubes or tunnels to transport people and goods. In 2020, the US-based company “Virgin Hyperloop” tested the Hyperloop system with passengers for the first time.
There are two major differences between hyperloop and standard rail. One is passengers sit in pods that travel via tubes or tunnels in which most of the air is removed to reduce friction. The second difference is that instead of using wheels, the pods will float on air skis or use magnetic levitation.
Hyperloop is faster and less expensive to construct than regular high-speed rail. The energy requirement is also less.
What is ‘Avishkar Hyperloop’?
In 2017, a team named ‘Avishkar Hyperloop’ was formed by students of IIT Madras. It is working on the development of a Hyperloop-based transportation system. It was the only Asian team to reach the top 10 worldwide at the SpaceX Hyperloop Pod Competition in 2019. At the European Hyperloop Week-2021, the team won the Most Scalable Design award.
भारत का पहला स्वदेशी हाइपरलूप विकसित करने के लिए IIT मद्रास और भारतीय रेलवे भागीदार
रेल मंत्रालय ने कहा कि वह एक स्वदेशी हाइपरलूप प्रणाली विकसित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT मद्रास) के साथ सहयोग करेगा। मंत्रालय IIT मद्रास में हाइपरलूप टेक्नोलॉजीज के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने में भी मदद करेगा। केंद्र का निर्माण IIT मद्रास द्वारा अपने मौजूदा रेलवे अनुसंधान केंद्र (CRR) के माध्यम से किया जाएगा। यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
IIT मद्रास और रेल मंत्रालय की क्या भूमिका होगी?
इस परियोजना के लिए, IIT मद्रास को भारतीय रेलवे से 8.34 करोड़ रुपये का वित्त पोषण प्राप्त होगा। वित्तीय सहायता के साथ-साथ, भारतीय रेलवे सुरक्षा मानकों के निर्माण और निर्माण में भी मदद करेगा। साथ ही रेलवे की इलेक्ट्रिकल टेस्टिंग सुविधाओं तक पहुंच मुहैया कराई जाएगी।
IIT मद्रास हाइपरलूप सिस्टम के लिए पॉड, ट्यूब और ट्रैक के लिए डिजाइन प्रलेखन देने के लिए जिम्मेदार होगा। पॉड प्रोटोटाइप और वैक्यूम ट्यूब के लिए परीक्षण और प्रदर्शन डेटा वितरण भी IIT मद्रास द्वारा किया जाएगा। संस्थान रेलवे कर्मियों को हाइपरलूप सिस्टम के कामकाज के संबंध में प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।
हाइपरलूप क्या है?
हाइपरलूप एक नई प्रकार की परिवहन तकनीक है जो लोगों और सामानों के परिवहन के लिए कम दबाव वाली ट्यूबों या सुरंगों में चुंबकीय उत्तोलन का उपयोग करती है। 2020 में, यूएस-आधारित कंपनी “वर्जिन हाइपरलूप” ने पहली बार यात्रियों के साथ हाइपरलूप सिस्टम का परीक्षण किया।
हाइपरलूप और मानक रेल के बीच दो प्रमुख अंतर हैं। एक यात्री पॉड्स में बैठते हैं जो ट्यूब या सुरंगों के माध्यम से यात्रा करते हैं जिसमें घर्षण को कम करने के लिए अधिकांश हवा को हटा दिया जाता है। दूसरा अंतर यह है कि पहियों का उपयोग करने के बजाय, पॉड एयर स्की पर तैरेंगे या चुंबकीय उत्तोलन का उपयोग करेंगे।
हाइपरलूप नियमित हाई-स्पीड रेल की तुलना में तेज़ और कम खर्चीला है। ऊर्जा की आवश्यकता भी कम होती है।
‘अविष्कार हाइपरलूप’ क्या है?
2017 में, IIT मद्रास के छात्रों द्वारा ‘अविष्कार हाइपरलूप’ नाम की एक टीम बनाई गई थी। यह हाइपरलूप आधारित परिवहन प्रणाली के विकास पर काम कर रहा है। 2019 में स्पेसएक्स हाइपरलूप पॉड प्रतियोगिता में दुनिया भर में शीर्ष 10 में पहुंचने वाली यह एकमात्र एशियाई टीम थी। यूरोपीय हाइपरलूप वीक-2021 में, टीम ने मोस्ट स्केलेबल डिज़ाइन का पुरस्कार जीता।