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समास परिभाषा भेद और उदहारण – Samas Definition in Hindi, Download PDF
- April 2, 2023
- Posted by: Admin
- Category: Hindi BPSC MP Patwari Exam MPPSC State PSC Exams UPPSC UPSC
समास परिभाषा भेद और उदहारण
In this article, we have given the समास परिभाषा भेद और उदहारण Samas Definition, Hindi Vyakaran. Candidate can learn in more details about समास परिभाषा भेद और उदहारण in this article. समास परिभाषा भेद और उदहारण PDF
समास परिभाषा
Definition: दो या दो से अधिक शब्दों के योग से नवीन शब्द बनाने की विधि (क्रिया) को समास कहते हैं। इस विधि से बने शब्दों का समस्त-पद कहते हैं। जब समस्त-पदों को अलग-अलग किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को समास-विग्रह कहते हैं।
समास रचना में कभी पूर्व-पद और कभी उत्तर-पद या दोनों ही पद प्रधान होते हैं, यही विधि समस्त पद कहलाती है; जैसे-
- पूर्व पद उत्तर पद समस्त पद(समास)
- शिव + भक्त = शिवभक्त पूर्व पद प्रधान
- जेब + खर्च = जेबखर्च उत्तर पद प्रधान
- भाई + बहिन = भाई-बहिन दोनों पद प्रधान
- चतुः + भुज = चतुर्भुज(विष्णु) अन्य पद प्रधान
परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों (पदों) के मेल (योग) को समास कहते हैं। इस प्रकार एक स्वतंत्र शब्द की रचना होती हैं
उदाहरण- रसोईघर, देशवासी, चैराहा आदि।
समास के भेद
हिन्दी में समास के छः भेद होते है-
- अव्ययी भाव समास
- तत्पुरुष समास
- द्विगु समास
- द्वन्द्व समास
- कर्मधारय समास
- बहुब्रीहि समास
1. अव्ययीभाव समास –
इस समास में पहला पद अव्यय होता है और यही प्रधान होता है।
- भरपेट – पेट भरकर।
- यथा योग्य – योग्यता के अनुसार ।
- प्रतिदिन – हर दिन ।
- आजन्म – जन्म भर।
- आजीवन – जीवनभर /पर्यन्त।
- आमरण – मरण तक (पर्यन्त)।
- बीचोंबीच – बीच ही बीच में
- यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार।
2. तत्पुरुष समास-
इस समास में प्रथम शब्द (पद) गौण तथा द्वितीय पद प्रधान होता है; उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसमें कारक चिह्नों का लोप हो जाता है। कारक तथा अन्य आधार पर तत्पुरुष के निम्न्लिखित भेद होते हैं-
(1) कर्म तत्पुरुष – को परसर्ग (विभक्ति कारक चिह्नों) का लोप होता है। जैसे-
- समस्त पद विग्रह
- बसचालक बस को चलाने वाला
- गगनचुंबी गगन को चूमने वाला
- स्वर्गप्राप्त स्वर्ग को प्राप्त
- माखनचोर माखन का चुराने वाला।
(2) करण तत्पुरुष – इसमें ‘से’, ‘द्वारा’ परसर्ग का लोप होता है। जैसे-
- समस्त पद विग्रह
- मदांध मद से अंध।
- रेखांकित रेखा द्वारा अंकित
- हस्तलिखित हाथ से लिखित
- कष्टसाध्य कष्ट से साध्य
(3) सम्प्रदान तत्पुरुष – इसमें ‘को’ ‘के लिए’ परसर्ग को लोप होता है। जैसे-
- समस्त पद विग्रह
- हथकड़ी हाथ के लिए कड़ी।
- परीक्षा भवन परीक्षा के लिए भवन।
- हवनसामग्री हवन के लिए सामग्री।
- सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह।
(4) अपादान तत्पुरुष – इसमें ‘से’ (अलग होने का भाव) का लोप होता है। जैसे-
- समस्त पद विग्रह
- पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
- ऋणमुक्त ऋण से मुक्त
- जन्मान्ध जन्म से अंधा।
- भयभीत भय से भीत ।
(5) सम्बन्ध तत्पुरुष– इसमें ‘का, की, के, और रा, री, रे’ परसर्गाें का लोप हो जाता है। जैसे-
- समस्त पद विग्रह
- घुड़दौड़ घोंडों की दौड़
- पूँजीपति पूँजी का पति
- गृहस्वामी गृह का स्वामी
- प्रजापति प्रजा का पति
(6) अधिकरण तत्पुरुष – इसमें से कारक की विभक्ति में/पर का लोप हो जाता है। जैसे-
- समस्त पद विग्रह
- शरणागत शरण में आगत
- आत्मविश्वास आत्मा पर विश्वास
- जलमग्न जल में मग्न
- नीतिनिपुण नीति में निपुण
3. द्विगु समास –
इस समास का पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और दूसरा पद उसका विशेष्य होता है जैसे-
- समस्त पद विग्रह
- चैराहा चार राहों का समाहार/समूह
- त्रिभुवन तीन भुवनों का समूह
- नवग्रह नौ ग्रहों का समाहार
- त्रिवेणी तीन वेणियों का समाहार
4. द्वन्द्व समास–
इस समास में दोनों पद प्रधान होते है, तथा, और, या, अथवा आदि शब्दों का लोप होता है। जैसे-
- समस्त पद विग्रह
- आय-व्यय आय और व्यय
- माता-पिता माता और पिता
- भीम-अर्जुन भीम और अर्जुन
- अन्न-जल अन्न और जल
5. कर्मधारय समास –
इस समास में विशेषण का सम्बन्ध होता है। इसमंे प्रथम (पूर्व) पद गुणावाचक होता है। जैसे-
- समस्त पद विग्रह
- महात्मा महान् है जो आत्मा
- स्वर्णकमल स्वर्ण का है जो कमल।
- नीलकमल नीला है जो कमल
- पीताम्बर पीला है जो अम्बर
कर्मधारय समास में पूर्व पद तथा उत्तर पद में उपमेय-उपमान सम्बन्ध भी हो सकता है। जैसे-
- समस्त पद उपमेय उपमान
- घनश्याम घन के समान श्याम
- कमलनयन कमल के समान नयन
- मुखचन्द्र मुखीरूपी चन्द्र
6. बहुब्रीहि समास –
इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता बल्कि समस्त पद किसी अन्य के विशेषण का कार्य करता है और यही तीसरा पद प्रधान होता है।
- समस्त पद विग्रह
- दशानन दश है आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण
- चतुर्भुज चार है भुजाएँ जिसकी अर्थात् विष्णु
- लम्बोदर लम्बा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेश
- चक्रपाणि चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके अर्थात् विष्णु
- नीलकंठ नील है कंठ जिसका अर्थात् शिव
विशेष- बहुब्रीहि समास में विग्रह करने पर विशेष रूप से ‘वाला, वाली, जिसका, जिसकी, जिसके’ आदि शब्द पाए जाते हैं अर्थात् विग्रह पद संज्ञा पद का विशेषण रूप हो जाता है।
कर्मधारय समास और बहुब्रीहि समास में अन्तर
कर्मधारय समास में विशेषण और विशेष्य अथवा उपमेय और उपमान का सम्बन्ध होता है जबकि बहुव्रीही समास में समस्त पद ही किसी संज्ञा के विशेषण का कार्य करती है।
उदाहरण-
- नीलकंठ नीला है जो कंठ (कर्मधारय समास )
- नीलकंठ नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव (बहुव्रीही)
- पीताम्बर पीला है जो अम्बर (कर्मधारय)
- पीताम्बर पीला है अम्बर जिसका अर्थात् कृष्ण (बहुव्रीहि)
कर्मधारय समास और द्विगु समास में अन्तर
कर्मधारय समास में समस्तपद का एक पद गुणवाचक विशेषण और दूसरा विशेष्य होता है जबकि द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है।
समस्त पद विग्रह
- नीलाम्बर नीला है जो अम्बर (कर्मधारय)
- पंचवटी पाँच वटों का समाहार (द्विगु)
द्विगु समास और बहुव्रीहि समास में अन्तर
द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण और दूसरा विशेष्य होता है जबकि बहुव्रीही समास में पूरा पद ही विशेषण का काम करता है।
उदाहरण-
- समस्त पद विग्रह
- त्रिनेत्र तीन नेत्रों का समूह (द्विगु समास)
- त्रिनेत्र तीन नेत्र है जिसके अर्थात् (बहुव्रीहि)
समास के उदाहरण व समास विग्रह –
| पद | विग्रह | समास |
|---|---|---|
| गगनचुम्बी/गगनचंबी | गगन को चूमने वाली | कर्म तत्पुरुष |
| कठफोड़वा | काठ को फोड़ने वाली | कर्म तत्पुरुष |
| स्वर्णप्राप्त | स्वर्ण को प्राप्त | कर्म तत्पुरुष |
| गृहागत | घर को आगत | कर्म तत्पुरुष |
| मनोहर | मन को हरने वाला | कर्म तत्पुरुष |
| स्वर्गप्राप्त | स्वर्ग को प्राप्त | कर्म तत्पुरुष |
| माखनचोर | माखन को चुराने वाला | कर्म तत्पुरुष |
| मोक्ष प्राप्त | मोक्ष को प्राप्त | कर्म तत्पुरुष |
| ग्रामगत | ग्राम को गया हुआ | कर्म तत्पुरुष |
| मदशून्य | मद से शून्य | करण तत्पुरुष |
| प्रेमसिक्त | प्रेम से सिक्त | करण तत्पुरुष |
| नेत्रहीन | नेत्र से हीन | करण तत्पुरुष |
| हस्तलिखित | हस्त से लिखित | करण तत्पुरुष |
| रेखांकित | रेखा से अंकित | करण तत्पुरुष |
| प्रकाशयुक्त | प्रकाश से युक्त | करण तत्पुरुष |
| शोकग्रस्त | शोक से ग्रसित | करण तत्पुरुष |
| भावपूर्ण | भाव से पूर्ण | करण तत्पुरुष |
| दुःखार्त | दुख से आर्त | करण तत्पुरुष |
| दंडपीड़ित | दण्ड से पीड़ित | करण तत्पुरुष |
| बाणाहत | बाण से आहत | करण तत्पुरुष |
| श्रमसाध्य | श्रम से साध्य | करण तत्पुरुष |
| जलशक्ति | जल से शक्ति | करण तत्पुरुष |
| रोगपीड़ित | रोग से पीड़ित | करण तत्पुरुष |
| देशभक्ति | देश के लिए भक्ति | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| सभाभवन | सभा के लिए भवन | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| गोशाला | गो के लिए शाला | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| शिक्षालय | शिक्षा के लिए आलय | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| मालगोदाम | माल के लिए गोदाम | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| लोकहितकारी | लोक के लिए हितकारी | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| देशभक्ति | देश के लिए भक्ति | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| देवालय | देव के लिए आलय | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| युद्धभूमि | युद्ध के लिए भूमि | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| बालामृत | बालकों के लिए अमृत | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| राहखर्च | राह के लिए खर्च | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| गुरुदक्षिणा | गुरु के लिए दक्षिणा | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| हवनसामग्री | हवन के लिए सामग्री | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| नववर्षोपहार | नववर्ष के लिए उपहार | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| शिवार्पण | शिव के लिए अर्पण | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| सभाभवन | सभा के लिए भवन | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| विधानसभा | विधान के लिए सभा | सम्प्रदान तत्पुरुष |
| पदभ्रष्ट | पद से भ्रष्ट | अपादान तत्पुरुष |
| ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त | अपादान तत्पुरुष |
| दूरागत | दूर से आगत | अपादान तत्पुरुष |
| बलहीन | बल से हीन | अपादान तत्पुरुष |
| देशनिकाला | देश से निकाला | अपादान तत्पुरुष |
| विदेशागत | विदेश से आगत | अपादान तत्पुरुष |
| लोकोत्तर | लोक से उत्तर | अपादान तत्पुरुष |
| पदच्युत | पद से च्युत | अपादान तत्पुरुष |
| पथभ्रष्ट | पथ से भ्रष्ट | अपादान तत्पुरुष |
| ईश्वरविमुख | ईश्वर से विमुख | अपादान तत्पुरुष |
| वृक्षपतित | वृक्ष से पतित | अपादान तत्पुरुष |
| धर्मभ्रष्ट | धर्म से भ्रष्ट | अपादान तत्पुरुष |
| जन्मरोगी | जन्म से रोगी | अपादान तत्पुरुष |
| स्थानच्युत | स्थान से च्युत | अपादान तत्पुरुष |
| प्रेमरिक्त | प्रेम से रिक्त | अपादान तत्पुरुष |
| पापमुक्त | पाप से मुक्त | अपादान तत्पुरुष |
| सूर्योदय | सूर्य का उदय | संबध तत्पुरुष |
| गंगाजल | गंगा का जल | संबध तत्पुरुष |
| गृहकार्य | गृह का कार्य | संबध तत्पुरुष |
| स्नानगृह | स्नान का ग्रह | संबध तत्पुरुष |
| नगरसेठ | नगर का सेठ | संबध तत्पुरुष |
| राजमाता | राजा की माता | संबध तत्पुरुष |
| श्रमदान | श्रम का दान | संबध तत्पुरुष |
| समाजोद्धार | समाज का उद्धार | संबध तत्पुरुष |
| पतितोद्धार | पतित का उद्धार | संबध तत्पुरुष |
| विद्यालय | विद्या का आलय | संबध तत्पुरुष |
| राजभवन | राजा का भवन | संबध तत्पुरुष |
| राष्टपति | राष्ट्र का पति | संबध तत्पुरुष |
| चंद्रप्रकाश | चंद्र का प्रकाश | संबध तत्पुरुष |
| जलधारा | जल की धारा | संबध तत्पुरुष |
| वीरकन्या | वीर की कन्या | संबध तत्पुरुष |
| प्रेमोपासक | प्रेम का उपासक | संबध तत्पुरुष |
| चरित्रचित्रण | चरित्र का चित्रण | संबध तत्पुरुष |
| ग्रामोद्धार | ग्राम का उद्धार | संबध तत्पुरुष |
| जलमग्न | जल में मग्न | अधिकरण तत्पुरुष |
| पुरुषोत्तम | पुरुषों में उत्तम | अधिकरण तत्पुरुष |
| शरणागत | शरण को आगत | अधिकरण तत्पुरुष |
| शास्त्रप्रवीण | शास्त्रों में प्रवीण | अधिकरण तत्पुरुष |
| आत्मनिर्भर | आत्म पर निर्भर | अधिकरण तत्पुरुष |
| आनन्दमग्न | आनन्द में मग्न | अधिकरण तत्पुरुष |
| वनवास | वन में वास | अधिकरण तत्पुरुष |
| गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश | अधिकरण तत्पुरुष |
| नरश्रेष्ठ | नरों में श्रेष्ठ | अधिकरण तत्पुरुष |
| कविश्रेष्ठ | कवियों में श्रेष्ठ | अधिकरण तत्पुरुष |
| आपबीती | आप पर बीती | अधिकरण तत्पुरुष |
| नराधम | नरों में अधम | अधिकरण तत्पुरुष |
| सर्वोत्तम | सब में उत्तम | अधिकरण तत्पुरुष |
| रणशूर | रण में शूर | अधिकरण तत्पुरुष |
| क्षत्रियाधम | क्षत्रियों में अधम | अधिकरण तत्पुरुष |
| प्रतिदिन | दिना दिन | अव्ययीभाव |
| यथार्थ | अर्थ के अनुसार | अव्ययीभाव |
| यथासंभव | संभावना के अनुसार | अव्ययीभाव |
| प्रत्यक्ष | अक्षि के प्रति | अव्ययीभाव |
| परोक्ष | अक्षि के परे | अव्ययीभाव |
| यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार | अव्ययीभाव |
| व्यर्थ | बिना अर्थ का | अव्ययीभाव |
| यथाशीघ्र | जितना शीघ्र हो | अव्ययीभाव |
| आमरण | मरने तक | अव्ययीभाव |
| आजन्म | जन्मपर्यंत | अव्ययीभाव |
| मनमाना | मन के अनुसार | अव्ययीभाव |
| निर्भय | बिना भय के | अव्ययीभाव |
| भरपेट | पेट भर कर | अव्ययीभाव |
| बेकाम | बिना काम का | अव्ययीभाव |
| याज्जीवन | जब तक जीवन है | अव्ययीभाव |
| बेशर्म | बिना शर्म के | अव्ययीभाव |
| प्रत्यंग | अंग अंग | अव्ययीभाव |
| नीलकमल | नीला है कमल जो | कर्मधारय |
| महात्मा | महान है आत्मा जो | कर्मधारय |
| महापुरुष | महान है पुरुष जो | कर्मधारय |
| पीताम्बर | पीत है अम्बर जो | कर्मधारय |
| महर्षि | महान है ऋषि जो | कर्मधारय |
| परमेश्वर | परम है ईश्वर जो | कर्मधारय |
| नीलाकाश | नीला है आकाश जो | कर्मधारय |
| नराधम | अधम है नर जो | कर्मधारय |
| सत्संगति | सज्जनों की संगति | कर्मधारय |
| श्वेतपत्र | श्वेत है पत्र जो | कर्मधारय |
| चरमसीमा | सीमा का चरम | कर्मधारय |
| त्रिलोक | तीन लोकों का समाहार | द्विगु समास |
| चतुर्वर्ण | चार वर्णों का समाहार | द्विगु समास |
| पंचवटी | पांच वृक्षों का समूह | द्विगु समास |
| षट्कोण | छः कोनों वाला | द्विगु समास |
| सप्ताह | सात दिनों का समूह | द्विगु समास |
| अष्टसिद्धि | आठ सिद्धियां | द्विगु समास |
| सप्तशती | सात सौ पदों का समूह | द्विगु समास |
| अषंटपदी | आठ पदों का समाहार | द्विगु समास |
| रात दिन | रात और दिन | द्वंद्व समास |
| पाप पुण्य | पार और पुण्य | द्वंद्व समास |
| सीता राम | सीता और राम | द्वंद्व समास |
| लव कुश | लव और कुश | द्वंद्व समास |
| घास कूड़ा | घास और कूड़ा | द्वंद्व समास |
| माता पिता | माता और पिता | द्वंद्व समास |
| धनुर्बाण | धनुष और बाण | द्वंद्व समास |
| भेंड़ बकरी | भेंड़ और बकरी | द्वंद्व समास |
| दाल रोटी | दाल और रोटी | द्वंद्व समास |
| भला बुरा | भला और बुरा | द्वंद्व समास |
| ऊँचा नीचा | ऊँचा और नीचा | द्वंद्व समास |
| कीड़े मकौड़े | कीड़े और मकौड़े | द्वंद्व समास |
| राधाकृष्ण | राधा और कृष्ण | द्वंद्व समास |
| दशानन | दश हैं आनन(सर) जिसके | बहुब्रीहि |
| गजानन | गज के आनन वाला | बहुब्रीहि |
| लम्बोदर | लम्बा है उदर जिसका | बहुब्रीहि |
| दिगम्बर | दिशा ही हैं अम्बर जिसकी | बहुब्रीहि |
| घनश्याम | घन के समान श्याम | बहुब्रीहि |
| त्रिनेत्र | तीन नेत्रों वाले | बहुब्रीहि |
| जलज | जल में जन्म लेने वाला | बहुब्रीहि |
| चतुर्भुज | चार हैं भुजाएं जिनकी | बहुब्रीहि |
| नीलकंठ | नीले कंठ वाले | बहुब्रीहि |
| षडानन | छः हैं मुख जिनके अर्थात् कार्तिकेय | बहुब्रीहि |
| धर्म – अर्थ | धर्म और अर्थ | द्वंद्व समास |
| राम – लक्ष्मण | राम और लक्ष्मण | द्वंद्व समास |
| कन्दमूलफल | कन्द और मूल और फल | द्वंद्व समास |
| नर नारी | नर और नारी | द्वंद्व समास |
| राजा – रानी | राजा और रानी | द्वंद्व समास |
| धर्माधर्म | धर्म और अधर्म | द्वंद्व समास |
| ईशकृष्ण | ईश और कृष्ण | द्वंद्व समास |
| शुभाशुभ | शुभ और अशुभ | द्वंद्व समास |
| पथ्यापध्य | पथ्य और अपथ्य | द्वंद्व समास |
| चरारचर | चर और अचर | द्वंद्व समास |
| जीवन – मरण | जीवन और मरण | द्वंद्व समास |
| पाणिपाद | पाणि और पाद | द्वंद्व समास |
| मुखनासिका | मुख और नासिका | द्वंद्व समास |
| अहिनकुल | अहि और नकुल | द्वंद्व समास |
| सत्यासत्य | सत्य और असत्य | द्वंद्व समास |
| पशु – पक्षी | पशु और पक्षी | द्वंद्व समास |
| सुरासुर | सुर और असुर | द्वंद्व समास |
| शेषाशेष | शेष और अशेष | द्वंद्व समास |
| उत्तर दक्षिण | उत्तर और दक्षिण | द्वंद्व समास |
| पञ्चगव्य | पाँच गायों का समूह | द्विगु समास |
| पञ्चपात्र | पाँच पात्रों का समूह | द्विगु समास |
| दुथारी | दो धार वाली | द्विगु समास |
| त्रिदेव | तीन देवोंं का समूह | द्विगु समास |
| त्रिकोण | तीन कोणों का समूह | द्विगु समास |
| त्रिशूल | तीन काँटों का समूह | द्विगु समास |
| पञ्चमुख | पाँच मुखों का समूह | द्विगु समास |
| द्विचक्री | दो चक्रों वाला | द्विगु समास |
| चौराहा | चार राहों का समूह | द्विगु समास |
| चतुष्पाद | चार पैरों वाला | द्विगु समास |
| त्रिभुज | तीन भुजाओं का समूह | द्विगु समास |
| चारपाई | चार पायों का समूह | द्विगु समास |
| त्रिभुवन | तीन भुवन/लोक का समूह | द्विगु समास |
| दशावतार | दश अवतारों का समूह | द्विगु समास |
| अष्टध्यायी | आठ अध्यायों का समूह | द्विगु समास |
| दशाब्द | दश अब्द/वर्ष | द्विगु समास |
| चौमासा | चार मासों का समूह | द्विगु समास |
| चतुर्युग | चार युगों का समूह | द्विगु समास |
| सप्तद्वीप | सात द्वीपों का समूह | द्विगु समास |
| अष्टावक्र | आठ वक्रों का समूह | द्विगु समास |
| नवरात्र | नौ रात्रियों का समूह | द्विगु समास |
| शताब्दी | शत/सौ अब्दी/वर्ष का समूह | द्विगु समास |
| कृष्णसर्प | काला सर्प | कर्मधारय |
| विद्याधन | विद्यारूपी धन | कर्मधारय |
| मुखकमल | मुखरूपी कमल | कर्मधारय |
| स्वर्ण कलश | सोने का कलश | कर्मधारय |
| महाकिव | महान है कवि जो | कर्मधारय |
| नीलाम्बुज | नीला अम्बुज/कमल | कर्मधारय |
| नीलगगन | नीला है गगन जो | कर्मधारय |
| रक्तवस्त्र | लाल वस्त्र | कर्मधारय |
| महावीर | महान है वीर जो | कर्मधारय |
| श्वेताम्बर | श्वेत अम्बर/वस्त्र | कर्मधारय |
| महाजन | महान है जो जन | कर्मधारय |
| महामानव | महान है मानव जो | कर्मधारय |
| नोलीत्पल | नीला उत्पल/कमल | कर्मधारय |
| घनश्याम | घन के समान काले श्याम | कर्मधारय |
| रक्त वर्ण | लाल वर्ण/रंग | कर्मधारय |
| नीलाश्व | नीला घोड़ा | कर्मधारय |
| श्वेतकमल | सफेल कमल | कर्मधारय |
| श्रेष्ठपुरुष | श्रेष्ठ है पुरुष जो | कर्मधारय |
| पीतकमल | पीला कमल | कर्मधारय |
| पीतवसन | पीला अम्बर/वस्त्र | कर्मधारय |
| विशालाक्ष | विशाल आँखों वाला | कर्मधारय |
| सज्जन | सदाचारी जन | कर्मधारय |
| महात्मा | महान आत्मा | कर्मधारय |
| पीतपृष्ठ | पीला पृष्ठ | कर्मधारय |
| रक्ताम्बर | लाल अम्बर/वस्त्र | कर्मधारय |
| चंद्रमुख | चांद के समान मुख | कर्मधारय |
| कुमाता | बुरी मा | कर्मधारय |
| महाधन | महान है जो धन | कर्मधारय |
| नीलाम्बर | नीला वस्त्र | कर्मधारय |
| पुरुषव्याघ्र | पुरुषरूपी व्याघ्र | कर्मधारय |
| पीताम्बर | पीले हैं वस्त्र जिसके | बहुब्रीहि |
| चंद्रशेखर | चंद्रमा है शिखर पर जिनके | बहुब्रीहि |
| चक्रपाणि | चक्र है पाणि/हाथ में जिनके | बहुब्रीहि |
| चक्रपाणि | चक्र है पाणि/हाथ में जिनके | बहुब्रीहि |
| लम्बकर्ण | लंबे हैं कान जिसके | बहुब्रीहि |
| चतुरानन | चार आनन/रस हैं जिसके | बहुब्रीहि |
| सभार्य | भार्या/स्त्री के साथ | बहुब्रीहि |
| मीनाक्षी | मीन/मछली के समान आँखों वाली | बहुब्रीहि |
| सार्जुन | अर्जुन के साथ | बहुब्रीहि |
| सकल | कलाओं से युक्त | बहुब्रीहि |
| चंद्रमुखी | चांद के समान मुख वाली | बहुब्रीहि |
| यशपाणि | यश है पाणि/हाथ में जिनके | बहुब्रीहि |
| चंद्रचूड़ | चंद्र है चूड़ पर जिनके | बहुब्रीहि |
| लम्बकेशी | लंबे हैं केश जिसके | बहुब्रीहि |
| गदाहस्त | गदा है हाथों में जिनके | बहुब्रीहि |
| यशोधन | यश है धन जिसका | बहुब्रीहि |
| जितेंद्रिय | इंद्रियों को जीतने वाला | बहुब्रीहि |
| धनुष्पाणि | धनुष है पाणि/हाथ में जनके | बहुब्रीहि |
| विषधर | विष को धारण करने वाला | बहुब्रीहि |
| सानुज | अनुज के सहित | बहुब्रीहि |
| सपत्नीक | पत्नी के सहित | बहुब्रीहि |
| सपुत्र | पुत्र के सहित | बहुब्रीहि |
| सकुटुम्ब | कुटुम्ब के सहित | बहुब्रीहि |
| यथेच्छा | इच्छा के अनुसार | अव्ययीभाव |
| उपगंगा | गंगा के समीप | अव्ययीभाव |
| उपतट | तट के समीप | अव्ययीभाव |
| प्रत्येक | हर एक | अव्ययीभाव |
| निर्जन | लोगों का अभाव | अव्ययीभाव |
| अधिगृह | घर पर | अव्ययीभाव |
| अधिहरि | हरि के विषय में | अव्ययीभाव |
| सहरि | हरि के सदृश्य | अव्ययीभाव |
| अधिगिरि | दिरि पर | अव्ययीभाव |
| निर्मक्षिक | मक्खियों से रहित | अव्ययीभाव |
| अनुदिन | दिन के बाद | अव्ययीभाव |
| निर्धन | धन से रहित | अव्ययीभाव |
| आसमुद्र | जहां तक समुद्र हो | अव्ययीभाव |
| अतिहिम | हिम की अति | अव्ययीभाव |
| प्रत्यक्ष | आँखों के सामने | अव्ययीभाव |
| निर्मशक | मच्छरों से वियुक्त | अव्ययीभाव |
| उपतीर्थ | तीर्थ के समीप | अव्ययीभाव |
| अनुविष्णु | विष्णु के पीछे | अव्ययीभाव |
| आजन्म | जन्म से लेकर | अव्ययीभाव |
| सुमद्र | मद्र देश की समृद्धि | अव्ययीभाव |
| भयप्राप्त | भह को प्राप्त | तत्पुरुष |
| धनप्राप्त | धन को प्राप्त | तत्पुरुष |
| हरित्रात | हरि द्वारा रक्षित | तत्पुरुष |
| विद्याशून्य | विद्या से शून्य | तत्पुरुष |
| ज्ञानशून्य | ज्ञान से शून्य | तत्पुरुष |
| दुखातीत | दुख से परे | तत्पुरुष |
| शरणागत | शरण में आया हुआ | तत्पुरुष |
| सुखयुक्त | सुख से युक्त | तत्पुरुष |
| विनयशून्य | विनय से शून्य | तत्पुरुष |
| मदमत्त | मद से मत्त | तत्पुरुष |
| विस्मयापन्न | विस्मय को प्राप्त | तत्पुरुष |
| बाणविद्ध | बांण से वेधा हुआ | तत्पुरुष |
| पुत्रहित | पुत्र के लिए हित | तत्पुरुष |
| ज्ञानलोभ | ज्ञान के लिए लोभ | तत्पुरुष |
| धनलोभ | धन के लिए लोभ | तत्पुरुष |
| सत्याग्रह | सत्य के लिए आग्रह | तत्पुरुष |
| सुखोपविष्ट | सुख से उपविष्ट | तत्पुरुष |
| गुणहीन | गुणों से हीन | तत्पुरुष |
| धनहीन | धन से हीन | तत्पुरुष |
| पदलोभ | पद के लिए लोभ | तत्पुरुष |
| मूर्तिपूजा | मूर्ति की पूजा | तत्पुरुष |
| राजगृह | राजा का घर | तत्पुरुष |
| देशनिर्वासित | देश से निर्वासित | तत्पुरुष |
| राजपुरुष | राजा का पुरुष | तत्पुरुष |
| नरपति | नरों का पति | तत्पुरुष |
| गोहित | गायों के लिए हितकर | तत्पुरुष |
| देवमंदिर | देवताओं का मंदिर | तत्पुरुष |
| मतिभ्रम | मति का भ्रम | तत्पुरुष |
| राजभय | राजा से भय | तत्पुरुष |
| चौरभय | चोरों से भय | तत्पुरुष |
| राज्यच्युत | राज्य से च्युत | तत्पुरुष |
| रोगमुक्त | रोग से मुक्त | तत्पुरुष |
| भूतबलि | प्राणियों के लिए बलि | तत्पुरुष |
| सुखभोग | सुख का भोग | तत्पुरुष |
| देवपूजा | देव की पूजा | तत्पुरुष |
| राजनीति | राजा की नीति | तत्पुरुष |
| निशावसान | रात की समाप्ति | तत्पुरुष |
| आचारनिपुण | आचरण में निपुण | तत्पुरुष |
| शास्त्रनिपुण | शास्त्रों में निपुण | तत्पुरुष |
| आम्रवृक्ष | आम का पेंड़ | तत्पुरुष |
| राजपुत्र | राजा का पुत्र | तत्पुरुष |
| पुत्रलाभ | पुत्र का लाभ | तत्पुरुष |
| अध्ययनकुशल | अध्ययन में कुशल | तत्पुरुष |
| कार्यदक्ष | कार्य में दक्ष | तत्पुरुष |
| ईश्वरभक्ति | ईश्वर की भक्ति | तत्पुरुष |
| युद्धनिपुण | युद्ध में निपुण | तत्पुरुष |
| कार्यकुशल | कार्य में कुशल | तत्पुरुष |
| दिनानुदिन | दिन के बाद दिन | अव्ययीभाव |
| उपकूल | अव्ययीभाव | अव्ययीभाव |
| समक्ष | अक्षि के सामने | अव्ययीभाव |
| निधड़क | बिना घड़क के | अव्ययीभाव |
| बखूबी | खूबी के साथ | अव्ययीभाव |
| बेलाग | बिना लाग का | अव्ययीभाव |
| अपादमस्तक | पाद (पैर) से मस्तक तक | अव्ययीभाव |
| प्रत्युपकार | उपकार के प्रति | अव्ययीभाव |
| बेफायदा | बिना फायदे के | अव्ययीभाव |
| बेखटके | बिना खटके के | अव्ययीभाव |
| बेरहम | बिना रहम के | अव्ययीभाव |
| पाकिटमार | पाकिट मारने वाला | तत्पुरुष (कर्म) |
| चिड़ीमार | चिड़ियों को मारने वाला | तत्पुरुष (कर्म) |
| गिरहकट | गिरह को काटने वाला | तत्पुरुष (कर्म) |
| मुँहतोड़ | मुँह को तोड़ने वाला | तत्पुरुष (कर्म) |
| जलसिक्त | जल से सिक्त | तत्पुरुष (करण) |
| रसभरा | रस से भरा | तत्पुरुष (करण) |
| मदमाता | मद से माता | तत्पुरुष (करण) |
| मेखाच्छन्न | मेघ से आछन्न | तत्पुरुष (करण) |
| रोगपीड़ित | रोग से पीड़ित | तत्पुरुष (करण) |
| रोगग्रस्त | रोग से ग्रस्त | तत्पुरुष (करण) |
| मुँहमाँगा | मुँह से माँगा | तत्पुरुष (करण) |
| दुःखार्त | दुख से आर्त | तत्पुरुष (करण) |
| मदान्ध | मद से अन्ध | तत्पुरुष (करण) |
| देहचोर | देह से चोर | तत्पुरुष (करण) |
| श्रमजीवी | श्रम से जीने वाला | तत्पुरुष (करण) |
| मुँहचोर | मुँह से चोर | तत्पुरुष (करण) |
| कामचोर | काम से जी चुराना | तत्पुरुष (करण) |
| पददलित | पद से दलित | तत्पुरुष (करण) |
| तुलसीकृत | तुलसी द्वारा कृत | तत्पुरुष (करण) |
| दुःखसन्तप्त | दुःक से सन्तप्त | तत्पुरुष (करण) |
| शोकाकुल | शोक से आकुल | तत्पुरुष (करण) |
| करुणापूर्ण | करुणा से पूर्ण | तत्पुरुष (करण) |
| शोकार्त | शोक से आर्त | तत्पुरुष (करण) |
| शोकग्रस्त | शोक से ग्रस्त | तत्पुरुष (करण) |
| अकालपीड़ित | अकाल से पीड़ित | तत्पुरुष (करण) |
| सरोईघर | रसोई के लिए घर | तत्पुरुष (सम्प्रदान) |
| मार्गव्यय | मार्ग के लिए व्यय | तत्पुरुष (सम्प्रदान) |
| स्नानघर | स्नान के लिए घर | तत्पुरुष (सम्प्रदान) |
| डाकमहसूल | डाक के लिए महसूल | तत्पुरुष (सम्प्रदान) |
| साधुदक्षिणा | साधु के लिए दक्षिणा | तत्पुरुष (सम्प्रदान) |
| पुत्रशोक | पुत्र के लिए शोक | तत्पुरुष (सम्प्रदान) |
| ब्राह्मणदेय | ब्राह्मण के लिए देय | तत्पुरुष (सम्प्रदान) |
| स्थानभ्रष्ट | स्थान से भ्रष्ट | तत्पुरुष (अपादान) |
| मायारिक्त | माया से रिक्त | तत्पुरुष (अपादान) |
| शक्तिहीन | शक्ति से हीन | तत्पुरुष (अपादान) |
| मरणोत्तर | मरण के बाद | तत्पुरुष (अपादान) |
| धर्मच्युत | धर्म से च्युत | तत्पुरुष (अपादान) |
| धर्मविमुख | धर्म से विमुख | तत्पुरुष (अपादान) |
| व्ययमुक्त | व्यय से मुक्त | तत्पुरुष (अपादान) |
| जलरिक्त | जल से रिक्त | तत्पुरुष (अपादान) |
| रामायण | राम का अयन | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| त्रिपुरारि | त्रिपुर का अरि | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| रामोपासक | राम का उपासक | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| अन्नदान | अन्न का दान | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| खरारि | खर का अरि | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| आनन्दाश्रम | आनन्द का आश्रम | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| चन्द्रोदय | चन्द्र का उदय | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| देशसेवा | देश की सेवा | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| हिमालय | हिम का आलय | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| पुस्तकालय | पुस्तक का आलय | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| राष्ट्रपति | राष्ट्र का पति | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| विद्यासागर | विद्या का सागर | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| सभापति | सभा का पति | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| राजदरबार | राजा का दरबार | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| अमरस | आम का रस | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| गुरुसेवा | गुरु की सेवा | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| मृगछौना | मृग का छौना | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| सेनानायक | सेना का नायक | तत्पुरुष (सम्बन्ध) |
| पुरुषसिंह | पुरुषों में सिंह | तत्पुरुष (अधिकरण) |
| मुनिश्रेष्ठ | मुनियों में श्रेष्ठ | तत्पुरुष (अधिकरण) |
| रणसूर | रण में सूर | तत्पुरुष (अधिकरण) |
| ध्यानमग्न | ध्यान में मग्न | तत्पुरुष (अधिकरण) |
| हरफनमौला | हर फन में मौला | तत्पुरुष (अधिकरण) |
| नरोत्तम | नरों में उत्तम | तत्पुरुष (अधिकरण) |
| दानवीर | दान में वीर | तत्पुरुष (अधिकरण) |
| सन्मार्ग | सत् मार्ग | कर्मधारय |
| नीलोत्पल | नील उत्पल | कर्मधारय |
| कदन्न | कुत्सित अन्न | कर्मधारय |
| कापुरुष | कुत्सित पुरुष | कर्मधारय |
| छुटभैया | छोटे भैया | कर्मधारय |
| नवयुवक | नव युवक | कर्मधारय |
| सदभावना | सत् भावना | कर्मधारय |
| वीरबाला | वीर बाला | कर्मधारय |
| महाकाव्य | महान् काव्य | कर्मधारय |
| वायसदम्पति | वायस है जो दम्पति | कर्मधारय |
| कुमारश्रमणा | संन्यास ग्रहण की हुई कुमारी | कर्मधारय |
| श्यामसुन्दर | श्याम जो सुंदर हैं | कर्मधारय |
| मदनमनोहर | मदन जो मनोहर हैं | कर्मधारय |
| जनकखोतिहर | जनक खेतिहर | कर्मधारय |
| शीतोष्ण | शीत उष्ण | कर्मधारय |
| कृताकृत | किया बेकिया | कर्मधारय |
| कहनी अनकहनी | कहना न कहना | कर्मधारय |
| नीतपीत | नीला पीला | कर्मधारय |
| लौहपुरुष | लोहो के समान पुरुष | कर्मधारय |
| विद्युच्चंचला | विद्युत जैसी चंचल | कर्मधारय |
| घनश्याम | घन जैसा श्याम | कर्मधारय |
| शैलोन्नत | शैल के समान उन्नत | कर्मधारय |
| कुसमुकोमल | कुसुम के समान कोमल | कर्मधारय |
| विद्युद्वेग | विद्युत के समान वेग | कर्मधारय |
| चरण कमल | चरण कमल के समान | कर्मधारय |
| पदपंकज | पंकज के समान पद | कर्मधारय |
| अधरपल्लव | पल्लव के समान अधर | कर्मधारय |
| नररत्न | रत्न के समान नर | कर्मधारय |
| मुखचन्द्र | चन्द्र के समान मुख | कर्मधारय |
| त्रिकाल | तीनो कालों का समाहार | द्विगु |
| चवन्नी | चार आनों का समाहार | द्विगु |
| त्रिपाद | तीन पादों का समाहार | द्विगु |
| पसेरी | पाँच सेरों का समाहार | द्विगु |
| नवग्रह | नौ ग्रहों का समाहार | द्विगु |
| त्रिगुण | तीन गुणों का समाहार | द्विगु |
| चतुर्वेद | चार वेदों का समाहार | द्विगु |
| पंचपात्र | पाँच पात्रों का समाहार | द्विगु |
| सतसई | सात सौ का समाहार | द्विगु |
| नवरत्न | नौ रत्नों का समाहार | द्विगु |
| दुअन्नी | दो आनो का समाहार | द्विगु |
| त्रिफला | तीन फलों का समाहार | द्विगु |
| षट् रस | छः रसों का समाहार | द्विगु |
| दुपहर | दूसरा पहर | द्विगु |
| शतांश | शत अंश | द्विगु |
| पँचहत्थड़ | पाँच हत्थड़ (हैंडेल) | द्विगु |
| दुधारी | दो धारों वाली | द्विगु |
| दुसूती | दो सूतों वाली | द्विगु |
| पंचप्रमाण | पाँच प्रमाण | द्विगु |
| मिठबोला | मीठी है बोली जिसकी | बहुब्रीहि |
| सहस्त्रानन | अहस्त्र (1000) हैं आनन जिसके | बहुब्रीहि |
| सहस्त्रकर | सहस्त्र हैं कर जिसके | बहुब्रीहि |
| शांतिप्रिय | शांति है प्रिय जिसको | बहुब्रीहि |
| वज्रायुध | वज्र है आयुध जिसका | बहुब्रीहि |
| प्राप्तोदक | प्राप्त है उदक जिसका | बहुब्रीहि |
| सतखण्डा | सात हैं खंड जिसमें | बहुब्रीहि |
| दत्तभोजन | दत्त है भोजन जिसे | बहुब्रीहि |
| नेकनाम | नेक है नाम जिसका | बहुब्रीहि |
| वज्रदेह | वज्र है देह जिसकी | बहुब्रीहि |
| चन्द्रवदन | चन्द्र के समान वदन वाली | बहुब्रीहि |
| वीणापाणि | वीणा है पाणि में जिनके | बहुब्रीहि |
| चन्द्रभाल | चन्द्र है भाल पर जिसके | बहुब्रीहि |
| शूलपाणि | शूल हा पाणि में जिनके | बहुब्रीहि |
| सदेह | देह के साथ है जो | बहुब्रीहि |
| सचेत | चेतना के साथ है जो | बहुब्रीहि |
| सबल | बल के साथ है जो | बहुब्रीहि |
| सपरिवार | परिवार सहित | बहुब्रीहि |
| बाताबाती | बातबात से हुई लड़ाई | बहुब्रीहि |
| डण्डाडण्डी | डण्डे डण्डे से हुई लड़ाई | बहुब्रीहि |
| लाठालाठी | लाठी लाठी से जो हुई लड़ाई | बहुब्रीहि |
| मुक्कामुक्की | मुक्के मुक्के से जो हुई लड़ाई | बहुब्रीहि |
| बेरहम | नहीं है रहम जिसमें | बहुब्रीहि |
| हरिशंकर | हरि और शंकर | द्वन्द्व |
| भाईबहन | भाई और बहन | द्वन्द्व |
| देशविदेश | देश और विदेश | द्वन्द्व |
| दालभात | दाल और भात | द्वन्द्व |
| धर्माधर्म | धर्म या अधर्म | द्वन्द्व |
| देवासुर | देव और असुर | द्वन्द्व |
| गौरीशंकर | गौरी और शंकर | द्वन्द्व |
| लेनदेन | लेन और देन | द्वन्द्व |
| लाभालाभ | लाभ या अलाभ | द्वन्द्व |
| कपड़ा लत्ता | कपड़ा लत्ता वगरह | द्वन्द्व |
| रुपया पैसा | रुपया पैसा वगरह | द्वन्द्व |
| ठण्डा गरम | ठण्डा या गर्म | द्वन्द्व |
| नाक कान | नाक और कान | द्वन्द्व |
| घर द्वार | घर द्वार वगरह | द्वन्द्व |
| नहाया धोया | नहाना धोना आदि | द्वन्द्व |
| घर आँगन | घर आँगन वगैरह | द्वन्द्व |
| शिवपार्वती | शिव और पार्वती | द्वन्द्व |
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समास परिभाषा भेद और उदहारण – Samas Definition in Hindi, Download PDF
Frequently Asked Sandhi Questions:
समास क्या है और उसके भेद?
दो या दो से अधिक शब्द से बने हुए नए शब्द को समास कहा जाता है। अव्ययी भाव समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास, द्वन्द्व समास और बहुव्रीहि समास यह समास के ६ भेद हैं।
महादेव में कौन सा समास होता है?
‘महादेव’ का उचित सामासिक विग्रह है – महान है जो देव अर्थात महादेव। यह बहुब्रीहि समास का उदाहरण है।
समास में कितने पद होते हैं?
समास रचना में दो शब्द अथवा दो पद होते हैं पहले पद को पूर्व पद तथा दूसरे पद का उत्तर प्रद कहा जाता है। इन दोनों पदों के समास से जो नया संक्षिप्त शब्द बनता है उसे समस्त पद या सामासिक पद कहते हैं। समास में दो या दो से अधिक पदों का मेल होता है।
नीलकंठ में कौन सा समास होता है?
‘नीलकण्ठ’ दोनों पद किसी अन्य की विशेषता बता रहें हैं अर्थात् दोनों ही पदों की प्रधानता न होकर अन्य पद पधान है अतः यहाँ ‘बहुव्रीहि‘ समास है और इसका समास-विग्रह होगा- ‘नीलं कण्ठं यस्य सः’ (शिवः)।