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US Fed Reserve’s rate hike, its impact on Markets, India & RBI Policy
- March 18, 2022
- Posted by: Admin
- Category: Current Affairs Economy and Banking Current Affairs GS paper 3
US Fed Reserve’s rate hike, its impact on India & markets , RBI Policy :
Why in News
In the first hike since 2018, the US Federal Reserve increased the interest rates by 25 basis points.
Reasons for US Fed Rate Hike
In February, inflation in the United States reached 7.9%, which is the highest in 40 years. The Russia-Ukraine war has also led to an increase in global commodity prices. Thus, there is upward inflation pressure. Hence, the interest rates have to be increased to reduce the money supply in the market and curb inflation. The US Federal Reserve projected that its policy rate would hit a range between 1.75% and 2% by end of 2022.
Impact on India
If the interest rates are hiked in the United States, it will make investments in the U.S. attractive as there will be higher returns. Thus, foreign investors will pull out their money from emerging markets like India and invest in the US for safe and secure returns. If the flight of capital from India continues, it will result in the weakening of the rupee against the dollar. If the rupee weakens it will result in imported inflation for India.
Impact on the RBI policy decision
The US Federal Reserve’s decision to hike interest rates will have a significant impact on the monetary policy review of RBI at the next Monetary Policy Committee (MPC) meeting scheduled in April. This flight of capital from India will put pressure on RBI to hike interest rates.
Stance of RBI
The Reserve Bank of India (RBI) continues to hold an accommodative stance. However, according to the data released by the Ministry of Statistics & Programme Implementation (MoSPI), India’s retail inflation surged to 6.07% in February. In January retail inflation was 6.01%. Thus, this is the second consecutive month that the Consumer Price Index (CPI) data has crossed the Reserve Bank of India’s (RBI) upper threshold of 6%.
If inflation continues to cross the upper threshold limit, RBI may hike the interest rates.
यूएस फेड रेट वृद्धि के कारण
फरवरी में, संयुक्त राज्य अमेरिका में मुद्रास्फीति 7.9% तक पहुंच गई, जो 40 वर्षों में सबसे अधिक है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। इस प्रकार, ऊपर की ओर मुद्रास्फीति का दबाव है। इसलिए, बाजार में मुद्रा आपूर्ति को कम करने और मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करनी होगी। यूएस फेडरल रिजर्व ने अनुमान लगाया कि 2022 के अंत तक इसकी नीति दर 1.75% और 2% के बीच हो जाएगी।
भारत पर प्रभाव
यदि संयुक्त राज्य में ब्याज दरों में वृद्धि की जाती है, तो यह यू.एस. में निवेश को आकर्षक बना देगा क्योंकि वहां उच्च रिटर्न होगा। इस प्रकार, विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से अपना पैसा निकालेंगे और अमेरिका में सुरक्षित और सुरक्षित रिटर्न के लिए निवेश करेंगे। अगर भारत से पूंजी का पलायन जारी रहा तो इससे डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आएगी। यदि रुपया कमजोर होता है तो इसका परिणाम भारत के लिए आयातित मुद्रास्फीति होगी।
आरबीआई नीति निर्णय पर प्रभाव
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी के फैसले का अप्रैल में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक में आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा पर महत्वपूर्ण असर पड़ेगा। भारत से पूंजी की यह उड़ान आरबीआई पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दबाव बनाएगी।
आरबीआई का रुख
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उदार रुख अपनाना जारी रखा है। हालाँकि, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में बढ़कर 6.07% हो गई। जनवरी में खुदरा महंगाई दर 6.01% थी। इस प्रकार, यह लगातार दूसरा महीना है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) डेटा ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6% की ऊपरी सीमा को पार कर लिया है।
यदि मुद्रास्फीति ऊपरी सीमा को पार करती रही, तो आरबीआई ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है।